Jain Temple in Kaushambi – कौशांबी में भव्य जैन मंदिर, नहीं लगी एक भी लोहे की कील

Jain Temple in Kaushambi

Jain Temple in Kaushambi, उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में जैन धर्म का एक भव्य मंदिर बनाया गया है।

कौशांबी खास मे बने जैन धर्म के मंदिर की बेजोड़ नक्कासी देशी ही नहीं विदेशी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रही है।

तीन साल की अथक मेहनत के बाद उत्तर भारत की नागर शैली में निर्मित छठें तीर्थंकर पद्म प्रभू का यह मंदिर संगमरमर के पत्थर से बनाया गया है।

इस मंदिर में 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

सबसे खास बात तो यह है कि मंदिर निर्माण करने वाले कारीगरों ने इसमें एक कील का इस्तेमाल नहीं किया है।

कारीगरों की इस कला ने इस मंदिर को बेजोड़ नक्कासी की श्रेणी में शामिल कर दिया है।

आने वाले दिनों में देश व विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।

जैन समुदाय हो उठा हर्षित

वहीं इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा पुष्प वर्षा के साथ हुई तो जैन समुदाय हर्षित हो उठा। इस मंदिर की परिकल्पना करने वाले की सोच थी कि जब परिवार के लोग भव्य इमारत में रहते है तो उनके आराध्य देव क्यों न ऐसी ही भव्य प्रांगण मे विराजमान हो।

मुबंई के एक गोलंग परिवार ने बनवाया मंदिर

बताया जा रहा है कि कौशाम्बी जैन तपोस्थली में हिसामबाद गढ़वा में मुबंई के एक गोलंग परिवार ने छठें तीर्थंकर पद्म प्रभू का मंदिर बनवाया है।

गोलंग परिवार ने जिस मंदिर को बनवाया है, उसकी लागत कई करोड़ रुपए है।
मंदिर की लागत के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहा है। लोगों का अनुमान है कि इसके निर्माण में कई करोड़ रुपए का खर्च आया है।

संगमरमर के पत्थर से पूरा मंदिर बना है। यह मंदिर 25 फिट भू-तल में है और 60 फिट ऊपर है।

इसके अलावा इसमें 13 फिट का झंडा लगा है। ये झंडा हर साल 19 फरवरी को ही बदला जाएगा, वह भी विधि विधान से पूजा पाठ करने के बाद।

Jain Temple in Kaushambi लोहे की एक भी कील नहीं लगी

मंदिर बनाने वाले कारगीरों की नक्कासी बेजोड़ है।

संगमरमर के पत्थर से बने इस मंदिर में लोहे एक कील भी नहीं लगी है।

पत्थरों को तरासकर बहुत ही करीने से कारीगरों ने उनको लगाया है।

दिन और रात में मंदिर दूधिया रंग में नहाया रहता है। कारीगरों ने ताजमहल की नक्कासी को चुनौती देने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी है।

मंदिर में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं मंदिर में लगे पत्थरों को ही तराश कर बनाई गई हैं।

कौशाम्बी तपोस्थली में पहले से छठें तीर्थंकर पद्म प्रभू का मंदिर स्थापित था। यह मंदिर कई दशक पहले बनाया गया था।

लोगों की मानें तो सालों पहले मुंबई के गोलंग परिवार के चंपालाल जैन और उनकी पत्नी निर्मला जैन यहां पूजा-पाठ के लिए आए थे।

मंदिर को जीर्ण-शीर्ण हालत में देखकर चंपालाल जैन द्रवित हो गए।

इसके बाद उन्होंने संकल्प लिया था कि वह मंदिर का भव्य निर्माण कराएंगे।

इसी संकल्प को गोलंग परिवार ने पूरा किया।

जैन शास्त्रों पर आधारित है मंदिर
छठें पद्म प्रभू का नवनिर्मित मंदिर जैन शास्त्रों पर आधारित है।

गुजरात के आर्किटेक्ट बाबूलाल के नेतृत्व में कारीगरों ने इसका निर्माण किया।

निर्माण से पहले स्वायल टेस्ट (मृदा परीक्षण) भी आर्किटेक्ट ने कराया था.

रिपोर्ट मिलने के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। आर्किटेक्ट ने बताया कि ढाई साल में यह मंदिर बना है।

35 शिल्पकार रात-दिन यहां काम करते थे। हजारों की तादाद में मजदूर यहां लगाए गए थे.

मकराना से भी विशेष मजदूर यहां काम के लिए बुलाए गए थे।

Punjabkesari.in

Jain Temple in Kaushambi is a grand temple of Jainism has been built in Kaushambi district of Uttar Pradesh.

Kaushambi is specially attracting the attention of foreign tourists, not only the unmatched carving of the temple of Jain religion.

After three years of untiring hard work, the Padma Prabhu, a 6th Tirthankara built in Nagar style of North India, has been built with marble stones.

There are 24 Tirthankara statues installed in this Jain Temple in Kaushambi.

Most importantly, the artisans who make the jain temple have not used a nail in it.

This art of artisans has included this jain temple in the category of unmatched carvings. In the coming days, it will become a tourist attraction of the country and abroad.

 


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