अनुपम वात्सल्य के धनी हैं आचार्य वर्धमानसागर : मलैया


बुधवार को मुख्य समारोह था। इन दो दिनी आयोजन में समाजजनों द्वारा कई धार्मिक आयोजन किए गए। कार्यक्रम में शामिल होने व आचार्यश्री का आशीर्वाद लेने के लिए मप्र के वित्तमंत्री जयंत मलैया भी शामिल हुए। दोपहर 12.30 बजे मंत्री सिद्धवरकूट पहुंचे। यहां मुनिश्री संघ से आशीर्वाद लेने के बाद उन्होंने बताया कि सिद्धवरकूट क्षेत्र अत्यंत मनोहारी है। यहां आकर मन आनंदित हो गया है। आचार्य वर्धमान सागरजी महाराज जैन जगत के प्रतिष्ठित आचार्य हैं। व अनुपम वात्सल्य के धनी है इसीलिए आचार्य वात्सल्य र|ाकर कहलाते है। कार्यक्रम मे विशेष रूप से आई न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश विमला जैन भोपाल ने कहा कि आचार्यश्री जैन जगत के ध्वजवाहक हैं व उनका वात्सल्यभाव जगत प्रसिद्ध है। कार्यक्रम में सेवानिवृत्त आईएएस सुरेश जैन ने कहा कि वर्धमानसागरजी महाराज सर्वमान्य व समन्वय के सिद्धांत के श्रेष्ठ आचार्य हैं। मंगलाचरण से शुरू हुए समारोह में स्वागत भाषण प्रदीप कासलीवाल ने दिया। ट्रस्टी बाबूलाल जैन ने आचार्य संघ के अागमन को निमाड़-मालवा का सौभाग्य बताया। किशनगढ़ राजस्थान से आए संजय पापडीवाल ने श्रवण बेलगोल (कर्नाटक) के महामस्तकाभिषेक के बाद आचार्यश्री की मुनि दीक्षा का 50वां दीक्षा समारोह मनाने का निवेदन किया। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमाड़ मालवा सहित देशभर से समाजजन शामिल हुए थे। सिद्धक्षेत्र में मुनियों के दर्शन के लिए समाजजनों की भीड़ लगी रही। हर कोई मुनिश्री के दर्शन के लिए लालायित रहा। वित्तमंत्री मलैया ने मुनियों से आशीर्वाद लिया।

दीक्षा व वैराग्य भावों की नृत्य नाटिका प्रस्तुत की

27वें आचार्य पदारोहण पर राजस्थान के सीकर, पारसोला, उदयपुर, अासाम, मप्र सहित निमाड़-मालवा के भक्तों ने शास्त्र भेंट किए। सनावद वर्धमान बहूमंडल ने आचार्य के बचपन से लेकर दीक्षा व वैराग्य भावों की नृत्य नाटिका प्रस्तुत की।

वित्तमंत्री जयंत मलैया ने आचार्यश्री से लिया आशीर्वाद।

दूध और केसर से पाद प्रक्षालन किया

मुनिश्री के 27वें पदाराेहण पर देशभर से आए भक्तों ने आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन कर सौभाग्य प्राप्त किया। पाद प्रक्षालन जल, दूध, केसर व र|ों से किया गया। आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन का सौभाग्य संजय पापडीवाल किशनगढ़, चंदादेवी अाशादेवी जैन व संदीप सुमतिलाल डागरिया उदयपुर को मिला। मंगल कलश स्थापना पुष्पादेवी परिवार व शास्त्र भेंट कमल सारगिया बांसवाडा ने किया। आचार्य श्री के महापूजन में 11 प्रकार के फूल, 21 प्रकार के नैवेद्य, 17 प्रकार के फल समर्पित किए गए।

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