त्रिलोक तीर्थ प्रणेता आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज के समाधि दिवस पर भाव भीनी विनयाजली


संक्षिप्त परिचय

जन्म: 10 नवम्बर 1949

जन्म स्थान : बरवाई ,मुरेना (म.प्र.)

जन्म का नाम सुरेश चंद जैन

माता का नाम : श्रीमती सरोज देवी जैन

पिता का नाम : बाबूलाल जी जैन

ऐलक दीक्षा : 17 /02 / 1972

दीक्षा गुरु : आचार्य श्री 108 सुमति सागर जी महाराज

आचार्य पद : 1988 महावीर जयंती के दिन

आचार्य पद का स्थान : सोनागिरी

समाधि : 14 मार्च 2013 12.40 (दोपहर)

समाधि स्थल : श्री वर्धमान दिग जैन मंदिर, शकरपुर

विशिष्ट गुण: ज्योतिषी ,फेस रीडर ,दयालु, मृदुभाषी, विनम्र प्रकृति

आपके द्वारा शताधिक पुस्तके लिखी जा चुकी है जो जन जन को कल्याणकारी मार्ग प्रशस्त कर रही है आपको महावीर जयंती सन 1988 को सोनगिरजी मे मुनि दीक्षा दी गयी वह ऐसे पहले संत हुये जिनकोआचार्य श्री सुमति सागर जी महाराज ने मुनि दीक्षा उपरांत ही अपना पट्टाचार्य घोषित किया आपकी काव्य शेली आलोकिक रही

शेर को जलेबी खिलाकर रचा कीर्तिमान

आपने 28 मार्च 1984 को सिहरथ चलवाकर और शेर को दूध जलेबी खिलाकर एक कीर्तिमान स्थापित किया आपने त्रिलोक तीर्थ की स्थापना कर एक नया आयाम स्थापित किया

 समाधि प्रसंग विवरण:-

आधी रात को सिंहरथ प्रवर्तक, त्रिलोकतीर्थ प्रणेता परम पूज्य विद्याभूषण आचार्य श्री सन्मतिसागर जी महाराज को अचानक छाती में दर्द हुआ तो तभी कुछ लोग इकठा हुआ और एक जैन डॉक्टर को बुलाया गया तथा उन्होंने आचार्य श्री का ट्रीटमेंट therapy से थोडा बहुत किया… अब कुछ खा या पी तो सकते नहीं, जितना हो सका डॉक्टर आदि लोगो ने मिलकर किया, जिससे महाराज जी कुछ relief हुआ, तभी रात को महाराज जी ने समाधि की बात कही… सुबह हुई तो महाराज जी आहार नहीं लिया और अपने संघ के मुनिराजो को आने को बोल दिया… सब संघ मुनिराज, माता जी आदि जल्दी से वहा पहुच जाए, तथा आचार्य श्री के कुछ घर सम्बन्धी भी पहुचे तब आचार्य श्री ने सबको कहा की अगर मेरी तबियत खराब होती है तो भी आप डॉक्टर को नहीं बुलाओगे, और मेरी जीवनभर की तपस्या को खराब नहीं करोगे ! फिर महाराज जी बोले मेरी तबियत ठीक नहीं है और सामायिक का समय भी हो रहा है तो मैं सामायिक करता हूँ अब, फिर आचार्य श्री सामायिक करने ध्यान में बैठ गए… और उस समय आचार्य श्री के परिणाम बहुत निर्मल और शांत थे, बस सामायिक करते करते ही उनकी समाधी हो गयी !! आचार्य श्री के पावन चरण कमलो में हमारा नमोस्तु ! ॐ शांति !

 

— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी


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