अनामिका ने बिटिया के लिए टाली दीक्षा, पति सुमित दीक्षा लेकर बने सुमित मुनि


नीमच नगर के धनाडय़ युवा दम्पत्ति सुमित और उनकी पत्नी अनामिका के दीक्षा लेने के फैसले के बाद इनको दीक्षा से रोकने के लिए सामाजिक कार्यकता सहित अन्य कई लोग तत्पर थे और सभी से ही युवा दम्पत्ति की दीक्षा को लेकर शंकाओं/ आशंकाओं का दौर जारी था। आखिरकार 23 सितम्बर को सस्पेंस खत्म हुआ और दीक्षा लेने के ऐन वक्त 3 साल की मासूम बेटी की मां अनामिका ने फिलहाल दीक्षा लेना टाल दिया  जबकि उनके पति सुमित राठौर ने दीक्षा ग्रहण कर सन्यासी की राह पकड ली। सूरत नगर में प्रात:से ही हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मुनि आचार्य रामलाल महाराज द्वारा सुमित राठौड़ को दीक्षा प्रदान कर उनका नामकरण सुमित मुनि कर दिया गया।

ज्ञातव्य हो कि 3 साल की मामूम बेटी को छोड़ युवा दम्पत्ति सन्यास की राह पर निकलने का फैसला लेने के बाद जैन समुदाय सहित सामाजिक हलकों द्वारा इसे रोके जाने के संबंध में बहस छिड़ी हुई थी। आयोजन के प्रभारी के अनुसार जैनाचार्य ने कहा कि अनामिका को भी दीक्षा की अनुमति दे दी गई है। उनकी दीक्षा का कार्यक्रम कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद होगा। बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, महिला बाल विकास विभाग, जिला मजिस्ट्रेद सहित चाइल्ड केयर में आवेदन दिया था कि बेटी के बड़े होने तक उक्त दम्पत्ति की दीक्षा पर रोक लगा दी जाए।

सूरत में एक शपथ पत्र भी तैयार करवा लिया गया, जिसमें 3 साल की बेटी की पूरी देखभाल उसके नाना द्वारा किये जाने की बात कही गयी और उन्हें बतौर गार्जियन बनाया गया। इसके बाद लगा कि दृढ़निश्चयी दम्पत्ति की दीक्षा नहीं रुकेगी किंतु शुक्रवार शाम को पूरे घटनाक्रम में यूटर्न आया और सूरत प्रशासन, बाल आयोग के अधिकारी सहित मजिस्ट्रेट वहां पहुंचे। वहां सभी अधिकारियों की लंबी चर्चा जैन मुनियों से हुई और फिलहाल सुमित की पत्नी अनामिका की दीक्षा का कार्यक्रम फिलहाल टाल दिया गया।


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