शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है मंदार।


 बांका ।  पूर्व बिहार और अंग क्षेत्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थली मंदारहिल आज शाम होते ही अंधेरे में डूब जाती है।
      जैसा मालूम है कि मंदारगिरी तीन धर्म जैन, हिन्दु और सफा धर्मों का संगम स्थली है। यहाँ प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में सैलानी और जैन तीर्थयात्री आते है। जैनियो सहित हिन्दु और सफा धर्म के आस्था से जुड़ा है मंदारगिरी पर्वत।
 जैन धर्मावलंबियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल काफी आस्था से जुड़ा है।
   अगर कोई शाम के वक्त मंदार पहुँचता है तो उसे अपने साथ टार्च ले जाना पड़ेगा। जब तक स्थानीय दुकानदार बैठे होते है तब तक तो उनके पास उपलब्ध लाईट के द्वारा थोड़ी बहुत प्रकाश मिलती है, पर चारों ओर मंदार तलहटी सहित पुरा मंदार पर्वत अंधकार मय रहता है।
     अगर देखे तो मंदार तलहटी स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर पर तो लाइट दिखेगी पर चारों ओर पुरा अंधेरा ही अंधेरा मिलेगा।
  *संध्या में मंदार पहुँचने वाले लोग असुरक्षित*
     अगर कोई शाम के वक्त मंदिर के मंगल आरती में शामिल होने पहुँचता है तो वह पुरी तरह असुरक्षित है। एक तो पुरे मंदार अंधकार मे तब्दील है दुसरा सुरक्षा की कोई मुकमल्ल इंतजाम नही है।
 *आखिर क्यों नही है मंदार में लाइट और सुरक्षा   की व्यवस्था*
  इस लचर या बद्द से बत्तर व्यवस्था के कारण पर्यटकों के साथ घट सकती है अपरिहार्य घटना।
     _जैसा कि पौराणिक मंदारहिल के बारे में सभी लोग जानते है कि यहाॅ लूटपाट, छिनतई, छेड़खानी, असामाजिक तत्वों का जमावड़ा आदि की घटना हमेशा घटती रहती है_  तो लोग थोड़ा सतर्क जरूर रहते है पर यहाँ इतने बड़े – बड़े कांड होने के बावजूद कोई मुकमल्ल व्यवस्था नही है।
     *मालूम हो कि कुछ महीने पहले मंदार तलहटी के चारों कोना हाईमास्टर लाईट लगाया गया था* पर शायद  कुछ ही दिन तक चली होगी फिर उसके बाद उस लाईट का कोई अता-पता नही।
   पापहरणी सरोवर के चारों ओर सोलर  लाइट लगाई गई है पर वो आज तक नही चालू हो पाई।
     मंदारगिरी पर्वत पर तो लाईट और सुरक्षा की व्यवस्था है ही नही, लेकिन यह तो शर्म की बात मंदार के तलहटी मे भी ऐसा हाल जहाँ पर्यटको के सुविधा की कोई इंतजाम नही।
        *आखिर इतने बड़े पौराणिक और आकर्षण का केंद्र, पर्यटकों के लिए मशहूर ,आलौकिक छटां बिखेर रही मंदार का विकास कब?*
   यह सवाल अपने आप में बहुत बड़ी सवाल है जो स्थानीय लोग बार-बार पुछते है।
      आखिर मंदारगिरी की ओर किसी भी राजनीतिक दल के लोगों का ध्यान क्यों नही जाता। आखिर जिला प्रशासन द्वारा मंदारगिरी के विकास हेतु सरकार का ध्यान क्यों नही आकर्षित कर पा रही??
    *कहीं पर्यटकों के लिए मशहूर मंदार पर्वत का विकास एक सपना ही ना रह जाय?*
  इस प्रकार के तमाम सवाल लोगों के जहन में उठती रहती है।अब इंतजार है कि ये सारे सवालों का जबाब कौन देगा?
 *विदित हो कि मंदारगिरी जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी की तप, केवल ज्ञान और मोक्ष की पावन भूमि है। यहाँ जैनियो के काफी आकर्षक मंदिर है, और अद्भुत प्रतिमाएँ विराजमान है।*
  • प्रवीण जैन

Comments

comments