जन्म लेने से पूर्व ही शिशु में ज्ञान, संस्कारों की धारा का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है : आचार्य श्री सुनील सागर


सागवाड़ा। आचार्य श्री  सुनील सागर जी महाराज के सानिध्य में बुधवार को विद्या भारती संस्थान डूंगरपुर द्वारा संचालित विद्यानिकेतन संस्था सागवाड़ा द्वारा ऋषभ वाटिका स्थित सन्मति समवशरण सभाभवन में मातृ शक्ति सम्मेलन हुआ। जिसमें संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा है कि भारतीय प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के साथ ही सभी धर्म शास्त्रों में मां को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया गया।

वर्तमान में बढ़ती पाश्चात्य प्रवृत्तियां और आधुनिक शिक्षा प्रणाली से संस्कार तथा संस्कृति को भारी क्षति पहुंच रही है। फिर भी विद्या भारती, विद्या निकेतन के साथ ही कुछ संस्थाएं जो शिक्षा, संस्कार और श्रेष्ठ मानव जीवन के निर्माण की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। आचार्य ने कहा कि जन्म लेने से पूर्व ही शिशु में ज्ञान और संस्कारों की धारा का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है क्योंकि बच्चा गर्भ में आहार के साथ ही मां की वृत्ति, विचार और संस्कारों से बहुत कुछ ग्रहण कर लेता है। इसलिए मां की कोख और गोद ही श्रेष्ठ जीवन का निर्माण करती है। जन्म के बाद बच्चों का सर्वाधिक ध्यान मां ही रखती है लेकिन गर्भवस्था के दौरान ज़्यादा सावधानियां रखना आवश्यक है। यदि मां के विचार अनुकूल होंगे तो जन्म लेने वाले बच्चे का व्यवहार भी अनुकूल ही होगा।

प्राचीन शास्त्रों में इसके प्रमाण उपलब्ध हैं। महाभारत में अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदन की विद्या को मां के गर्भ में प्राप्त किया। वहीं भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, महान संतों और भगवान महावीर स्वामी के बचपन की कथाओं में मां के द्वारा प्रदत्त ज्ञान कई विधाओं में महत्वपूर्ण संदेश प्रदान करता है जिसे आत्मसात करना चाहिए।

आचार्य श्री के पावन सानिध्य को श्रेष्ठ कनकमल कटारा

क्षेत्र के विकास के लिए बिना किसी भेदभाव के सभी मिलकर काम करते आए-करते रहेंगे: मातृ शक्ति सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सांसद कनकमल कटारा ने आचार्य के पावन सानिध्य को श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि सद्भावना, समभाव और सभी वर्गों में आपसी वात्सल्य का वातावरण निर्मित हुआ है। उन्होंने कहा कि विचारों एवं सिद्धांतों में मतभेद हो सकता है मगर इस क्षेत्र के विकास के लिए बिना किसी भेदभाव के सभी मिलकर काम करते आए और करते रहेंगे। कटारा ने कहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत सरल, सह्दय एवं सभी के प्रति स्नेहभाव के साथ ही सकारात्मक सोच का व्यक्तित्व रखते हैं । मुख्य अतिथि 18 हज़ार दशा हुमड दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष दिनेश खोडनिया ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा संत दर्शन पर हुमड पुरम सागवाड़ा प्रवास के दौरान दी गई विकास की सौगातों की जानकारी दी।

 

— अभिषेक जैन लुहाड़ीया


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