करोड़ों की लागत से बने इस जैन मंदिर को हटाने के लिए कोर्ट ने दिया आदेश


शहर के पॉश कॉलोनी में शामिल ऋषभ नगर स्थित आरक्षित जमीन पर बने ऋषभदेव श्वेताबंर मंदिर को न्यायालय ने हटाने का आदेश दिया है।

दुर्ग. शहर के पॉश कॉलोनी में शामिल ऋषभ नगर स्थित आरक्षित जमीन पर बने ऋषभदेव श्वेताबंर मंदिर को न्यायालय ने हटाने का आदेश दिया है। न्यायाधीश विजय कुमार साहू ने एक परिवाद पर यह फैसला सुनाया। परिवाद ऋषभ नगर निवासी अंगारक देव देशमुख (२८ वर्ष) व शेखर ठाकुर (४४ वर्ष) ने प्रस्तुत किया था। परिवाद में जानकारी दी गई कि जिस स्थान पर मंदिर निर्माण किया गया है वह ले-आउट में ओपन ग्राउंड है।

जमीन पर ओवर हेड टैंक निर्माण प्रस्तावित
परिवाद के मुताबिक विवादित 1750 वर्गफीट जमीन को ऋषभ नगर के ले-आउट में ओपन ग्राउंड के नाम से आरक्षित किया गया था। विवादित भूमि के अलावा शेष जमीन पर ओवर हेड टैंक निर्माण प्रस्तावित था। ओपन ग्राउंड को पर्यावरण के लिहाज से खुला छोडऩा प्रस्तावित था।परिवादी का कहना था कि ले-आउट देखने के बाद उन्होंने जमीन व मकान खरीदा था। बाद में बिल्डर ने आरक्षित जमीन को मंदिर समिति को बेच दिया। इसके बाद उस पर मंदिर निर्माण शुरू कर दिया।

परिवाद का आधार
परिवादी में बताया गया कि आरक्षित भूमि पर निर्माण से हवा पानी जैसे मूलभूत सुविधा पर प्रभाव पड़ रहा है। घरों का रोशनदान पूर्णरूप से बंद हो जाएगा। प्रकाश की व्यवस्था भी रुक जाएगी। जिस उपयोग के लिए भूमि को रखा गया था बिल्डर ने उस भूमि को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से लैंड यूज परिवर्तन भी नहीं कराया था। मंदिर निर्माण के लिए नगर पालिक निगम द्वारा अनुमति भी नहीं ली गई थी।

नोटिस लेने से किया इंकार
परिवाद प्रस्तुत करने से पहले परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से निर्माण कार्य पर रोक लगाने १८ अप्रैल को नोटिस जारी किया था, लेकिन बिल्डर व मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने नोटिस लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद नोटिस की जानकारी होने के बाद अनावेदकों ने मंदिर निर्माण कार्य और तेजी से शुरू किया।

इनके खिलाफ प्रस्तुत किया था परिवाद
१. बसंत कुमार कटारिया, प्रोपाइटर ऋषभ बिल्डर्स।
२. उत्तम चंद बरडिय़ा अध्यक्ष मंदिर समिति।
३. डॉ. डीसी जैन, सचिव मंदिर समिति।
४. ऋषभ बिल्डर्स।

मदिर निर्माण में एक करोड़ से अधिक खर्च
जानकारी के मुताबिक जिस ओपन ग्राउंड पर मंदिर निर्माण किया गया उसकी कीमत ३५ लाख रुपए है। वहीं मंदिर बनाने में लगभग एक करोड़ रुपए खर्च किया गया है। अनावेदकों का कहना था परिवाद में परिवादी ने नगर पालिक निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को पार्टी नहीं बनाया है। संपत्ति का मूल्यांकन कम आंकते हुए कोर्ट फीस भी कम जमा किया है। इसलिए परिवाद को निरस्त किया जाए।

Patrika.com


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