जैन संस्कृति के संवाहक बनें शिक्षक : आचार्य श्री ज्ञानसागरजी महाराज

जैन संस्कृति के संवाहक बनें शिक्षक : आचार्य श्री ज्ञानसागरजी
क्षेत्रपाल मंदिर में उपस्थित शिक्षक और आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज।

ललितपुर, शिक्षक का कार्य विषय-शिक्षण तक सीमित नहीं है, अपितु वह अपने आचरण के द्वारा छात्रों में मानवता का निर्माण कर सकते हैं। चारित्र का विकास, व्यक्तित्त्व का गठन और जीवन निर्माण एक सच्चा शिक्षक ही कर सकता है। जैन शिक्षक जैन संस्कृति के संवाहक बनें।

उक्त विचार राष्ट्र संत सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने क्षेत्रपाल जैन मंदिर ललितपुर में जैन शिक्षकों की कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहे।

उन्होंने कहा कि वर्तमान की शिक्षा केवल रोजगार के लिये होती है लेकिन वह बेरोजगार ज्यादा बनाती है। जिस शिक्षा से जीवन का समुन्नत विकास हो सकता है वह केवल आजीविका व स्वप्न दिखाती है, शिक्षा का उद्देश्य अर्थोपार्जन तक सीमित हो गया है जिस कारण वर्तमान पीढ़ी जैन संस्कृति से विमुख हो रही है। आवश्यकता है कि शिक्षक स्वयं चरित्रवान बने और भारतीय संस्कृति के संवाहक भी बनें।

जैन शिक्षक जैन संस्कृति के संवाहक

आचार्यश्री ने अपने मार्गदर्शी व्याख्यान में वर्तमान शिक्षा पद्धति, संस्कारों का अभाव, नैतिक शिक्षा का विलोपीकरण, संस्कृति ज्ञान का अभाव, शिक्षकों का चारित्रिक अवमूल्यन, गैर जिम्मेदारी पूर्ण शिक्षण के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब विपरीत परिस्थितियां हों ऐसी स्थिति में शिक्षक का दायित्व बढ़ जाता है। शिक्षक ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा का प्रमाण बनें। अनेक संस्मरणों , उदाहरणों से आचार्यश्री ने शिक्षकों को मार्गदर्शन प्रदान किया।

शिक्षक विकास की मजबूत नीव:

उन्होंने कहा कि  शिक्षक का दायित्व केवल क्लासरूम तक ही नहीं सिमटता बल्कि यह दायित्व बालकों/ छात्रों के व्यक्तित्व के विकास और चरित्र निर्माण का भी एक अहम हिस्सा होता है.

अंततः यह कहना अतियुक्ति नहीं होगी कि वर्तमान युग में शिक्षक छात्र/  छात्राओं के सक्षम मार्गदर्शक होने के साथ ही देश के भाग्य विधाता और भविष्य निर्माता भी हैं.

सही मायनों में कहा जाए तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है और  शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की  भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है, तभी शिक्षक को समाज में  उच्च दर्जा दिया जाता है। शिक्षक को ‘समाज का शिल्पकार’ कहा जाता है।

उन्होंने जैन शिक्षकों से अपेक्षा की कि वह कमजोर, असहाय वर्ग के बच्चों को अपनी ओर से निःशुल्क सेवाएं देने के लिए तत्पर रहें।आचार्यश्री ने जैन समुदाय द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए अवदान की चर्चा की। देश के विकास में जैन समुदाय के अवदान को रेखाँकित किया। समाज सेवा के लिए मन में एक जुनून होना चाहिए। जैन संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन में जैन शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

इस अवसर पर शिक्षक नेता सतेंद्र जैन गदियाना, शिक्षक शीलचंद्र जैन शास्त्री (पूर्व abrc), abrc श्रीमती दीप्ति जैन,शिक्षिका अमृता लोहिया, जितेंद्र जैन, अंतिम जैन,विशाल जैन, पुष्पेंद्र जैन आदि शिक्षकों ने अपने अमूल्य सुझाव और विचार रखे तथा अपने अनुभव साझा किए और आचार्यश्री के बताए हुए कार्यों को करने के लिए तत्पर रहने की बात कही।

आचार्यश्री ने किया रचनात्मक संवाद स्थापित :ब्र. अनिता दीदी

प्रखर वक्ता ब्र. अनिता दीदी ने आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के महनीय अवदान को बताते हुए कहा कि तनावों से मुक्ति कैसे हो, व्यसन मुक्त जीवन कैसे बने, पारिवारिक संबंधों में सौहार्द कैसे स्थापित हो तथा शाकाहार को जीवन शैली के रूप में कैसे प्रतिष्ठापित किया जाय आदि यक्ष-प्रश्नों को बुद्धिजीवियों, प्रशासकों, पत्रकारों, अधिवक्ताओं, शासकीय, अर्द्ध शासकीय व निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों व अधिकारियों, व्यवसायी, छात्रों-छात्राओं आदि के साथ परिचर्चाओं, कार्यशालाओं, गोष्ठियों के माध्यम से उत्तरित कराने के लिए एक ओर एक रचनात्मक संवाद स्थापित किया तो दूसरी ओर श्रमण संस्कृति, जैन संस्कृति के नियामक तत्त्वों एवं अस्मिता के मानदंडों से जन-जन को दीक्षित कर उन्हें जैनत्व की उस जीवन शैली से भी परिचित कराया जो उनके जीवन की प्रामाणिकता को सर्वसाधारण के मध्य संस्थापित करती है।

नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है आचार्यश्री का चिन्तन :

इस अवसर पर संचालन करते हुए  डॉ. सुनील जैन संचय ने कहा कि पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज यह जानते हैं कि एक शिक्षक सब कुछ कर सकता है, राष्ट्र की तस्वीर व तकदीर एक शिक्षक बदल सकता है। यही कारण है कि आचार्यश्री अनेकानेक सम्मेलनों में शिक्षक सम्मेलन को ज्यादा महत्त्व प्रदान करते हैं। आचार्यश्री के सान्निध्य में अनेक स्थानों पर शिक्षक सम्मेलन स्थानीय, जिला, मण्डलीय, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर हो चुके हैं, जिनकी अनूठी उपलब्धियां भी रही हैं। आचार्य श्री ज्ञानसागर जी का चिंतन फलक देश, काल, सम्प्रदाय, जाति, धर्म, सबसे दूर प्राणिमात्र को समाहित करता है, एक युग बोध देता है,  जैन संस्कृति एवं नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

इस अवसर पर सरस्वती विद्या मंदिर जूनियर हाईस्कूल, महावीर बाल विद्या मंदिर, माहेश्वरी एकेडमी, शांतिसागर प्रायमरी स्कूल , रानी लक्ष्मी बाई पब्लिक स्कूल, महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल, शांतिसागर जूनियर स्कूल, प्रशांति विद्या मंदिर, दिगम्बर जैन सुधासागर इंटर कालेज, सिद्धि सागर, स्याद्वाद बाल संस्कार केंद्र, वर्णी जैन इंटर कालेज, बेसिक शिक्षा बिभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग आदि में कार्यरत शिक्षक सतेंद्र जैन गदियाना (अध्यक्ष प्राथमिक संघ जखौरा), विकास जैन सिंघई (एबीआरसी), देवेंद्र जैन सिरोन शिक्षक नेता प्राथमिक संघ, दीप्ति जैन (abrc), शीलचंद्र जैन शास्त्री, राजेश जैन महरौनी शिक्षक नेता प्राथमिक संघ महरौनी, डॉ. सुनील जैन संचय, आशीष जैन, कल्पना जैन प्राचार्या सुधासागर इंटर कालेज, , सतीश जैन, दीपक जैन, प्रफुल्ल जैन, प्रदुम्न जैन, अमृता लोहिया, अंतिम जैन, पुष्पेन्द्र जैन, विशाल जैन, मनीष पवैया, मोहिनी जैन, साधना जैन, श्वेता मलैया, शशि लोहिया, साधना जैन, ऊषा जैन, सुनीता जैन, अनामिका लोहिया, गरिमा जैन, सुरेन्द्र जैन, मोहिता जैन, अपूर्व जैन, जितेंद्र जैन, अंकित जैन, अमित जैन, प्रियंका जैन, मनीष जैन, शालिनी जैन, श्वेता सिंघई, सीमा जैन, इंद्रा जैन, अनामिका जैन, सचिन जैन, राजेश जैन, प्रवीण जैन, अतिशा जैन, स्मृति जैन, कल्पना जैन, अंजलि सिंघई, ममता जैन, अभिषेक जैन, प्रिया जैन, प्रियंका सिंघई, दीक्षा जैन, प्रमिला जैन, रीता जैन, प्रदीप जैन, अनूप चौधरी, मोनिका जैन,अभिलाषा जैन,मयूरी जैन, ऋचा जैन, शालिनी जैन, अंजना जैन, मीना जैन ज्योति जैन, नैंसी जैन, मंजुलता जैन,मीना जैन,संजय जैन,मनोज जैन,वीरेन्द्र जैन,सुनील जैन,निधि जैन,स्नेहवर्षा जैन,अनन्त जैन,धीरेंद्र जैन, सोनम जैन, रानी जैन,विनीता जैन,समता जैन,नेहा जैन, सरोज जैन, सुलोचना जैन, मंजू जैन, हेमलता जैन, रंजना जैन, धर्मेंद्र जैन,प्रतीक लोहिया, शिवानी जैन, शशिप्रभा जैन आदि सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

संचालन डॉ. सुनील जैन संचय ने किया। आभार जैन पंचायत के चुनाव अधिकारी सतेन्द्र जैन गदियाना ने व्यक्त किया। स्वागत अक्षय अलया ने किया।

 

  •   डॉ. सुनील जैन संचय

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