राजनीतिज्ञों को आचरण में सुधार लाने की जरूरत : मुनिश्री तरुण सागर


राजनीति पर धर्म का शिंकजा और अंकुश जरूरी है। धर्म तथा राजनीति पति-पत्नी की तरह हैं। हर पत्नी का दायित्व है कि वह पति के अनुशासन को स्वीकारे। चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन जैन मुनि श्री तरुण सागर जी ने विधानसभा में जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए स्पीकर के बांयी तरफ बनी दर्शक दीर्घा से अपने प्रवचनों की शुरूआत की। राज्य के इतिहास में यह पहला मौका था, जब किसी धार्मिक संत ने विधानसभा में पक्ष-विपक्ष से जुड़े जनप्रतिनिधियों  को राजनीतिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया सिखायी। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि प्रवचनों के बाद सरकार पर राजनीति भगवाकरण का भी आरोप लगे किंतु इसे राजनीति में घुसी अशुद्धियों को दूर करने का एक प्रयास भर देखा जाना चाहिए। मुनि तरुण सागर ने सदन की कार्यवाही के बाद एक घंटे तक लगातार अपने कड़वे प्रवचन में कहा कि राजनीतिज्ञों को अपने आचरण में सुधार लाने की जरूरत है क्योंकि राजनीति में धर्म का प्रवेश होगा तो रामायण लिखी जाएगी और यदि अधर्म का प्रवेश हुआ तो महाभारत लिखा जाना निश्चित है।

इन्हीं कड़वे प्रवचनों के बीच मुनिश्री हंसी-ठिठोली भी करते रहे और लोगों को हंसाते भी रहे। उन्होंने ऐसे कई उदाहरण दिये, जिसमें जीवन और राजनीति का सार छिपा है। उन्होंने भ्रष्टाचार, आतंकवाद और दूषित राजनीति को देश की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए, उसके समाधान भी सुझाये। बेटियों को बचाने के लिए राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्तर पर त्रिस्तरीय फामरूला अपनाये जाने पर बल दिया। उन्होंने कड़े शब्दों में सरकार को किसी खुमारी में न रहने की सलाह दी, वहीं विपक्ष को उसकी जिम्मेदारी का एहसास कराया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को मात्र विरोध करने के लिए सरकार का विरोध नहीं करना चाहिए। सरकार की नींद और खुमारी तोड़ने के लिए समाज हित में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि कड़वा बोलना उनके चरित्र, संस्कार एवं प्रवृत्ति नहीं बल्कि मेरी मजबूरी है। पहले मैं मीठा बोलता था किंतु लोग सत्संग में सो जाते थे। उन्होंने बताया कि दीवार पर कील ठोंकने के लिए हथौड़ा चलाना पड़ेगा और जितनी तेजी से हथौड़ा चलेगा, उतनी तेजी से दीवार में कील अंदर जाएगी। इसी तरह समाज को संस्कारवान बनाने के लिए लोरी सुनाने से काम चलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे यहां आगमन पर किसी भी प्रतिनिधि ने किसी तरह को कोई विरोध नहीं किया, इसके लिए उन्होंने कृतज्ञता जाहिर की। स्पीकल कंवरपाल गुर्जर की बगल में राज्यपाल की कुर्सी रखी गयी थी। जैन मुनिश्री तरुण सागर जी ने प्रवचन सुनने के लिए महामहिम राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी सहित मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर, संसदीय कार्यमंत्री प्रो. रामबिलास शर्म, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्रंसिंह हुडडा और कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी उपस्थित थी।


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