राम नाम सत्य है, यही वाक्य जीवन का परम तत्व है, जो इसे पहचान लेगा वह कभी भटकेगा नहीं : मुनिश्री प्रमाण सागर


राम नाम सत्य है। यह वाक्य शुभ कार्यों में उपयोग होने लगे और जिंदा लोगों को यह वाक्य सुनाना शुरू कर दें तो उस दिन से लोगों के जीवन का रंग रंग बदल जाएगा। अभी हमारे यहां परंपरा है शव यात्रा में लोग राम नाम सत्य है का उच्चारण करते हुए जाते हैं और यह बात हम मुर्दों को सुनाते हैं। जबकि शुभ कार्यों में राम का नाम लोग लेने लगेंगे तो उचित होगा। लोगों ने इसे एक ढर्रा बना रखा है जबकि जीवन का यह परम सत्य है और जो इसे पहचान लेगा वह कभी भटकेगा नहीं। यह बात भाग्योदय तीर्थ में विराजमान मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने ऑनलाइन शंका-समाधान में कही।
उन्होंने एक कहानी सुनाते हुए कहा कि एक शव यात्रा में लोग यह उच्चारण करते हुए जा रहे थे। एक पंडितजी ने जब सुना तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन पंडितजी के बगल में एक बच्चा रहता था उसने पहली बार शवयात्रा में राम नाम सत्य है सुना था तो रोज वह उन पंडितजी के घर के सामने से निकले और राम नाम सत्य है का उच्चारण करते हुए घर जाता। पंडित जी को बहुत बुरा लगता एक दिन पंडितजी उसके घर उसके पिताजी के पास पहुंचे। अपने बेटे को समझा लेना यह अशुभ शब्दों का उच्चारण करता है तो पिताजी ने पूछा कौन से अशुभ शब्द हैं तो और पंडितजी बताने को तैयार नहीं हुए। बाद में पंडितजी से क्षमा मांगी। बच्चे को समझा लूंगा पंडितजी चले गए तो बच्चे से पूछा कि कौन सा अशुभ था लड़के ने कहा मैंने तो राम नाम सत्य बोला है तो पिताजी ने कहा यही तो परम सत्य है।
पति-पत्नी को एक दूसरे में परस्पर प्रेम और सामंजस्य बनाकर रहना चाहिए : मुनिश्री ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि पति पत्नी की भांति रहना चाहिए न की लाइफ पार्टनर की स्थिति में। अगर लाइफ पार्टनर की स्थिति में रहोगे तो आपस में सामंजस्य की कमी रहेगी। जिन्होंने मूलभूत संस्कारों को साथ में रखा है उन जोड़ों में कोई परिवर्तन नहीं आए हैं। जिन लोगों ने पश्चिमी सभ्यता को अपनाया है वहां ऐसी कठिन परिस्थिति आ रही है कि पति पत्नी के बीच में लगातार मनमुटाव है। एक दूसरे में परस्पर प्रेम और सामंजस्य बनाकर रहना चाहिए। सहजीवन में बहुत से समझौते करने पड़ते हैं नहीं तो तकलीफ बढ़ती जाती हैं। स्वतंत्रता और अहम को गौड़ करें। शांति संतोष को प्रमुखता देते हुए इसी के साथ जिएं एक दूसरे के साथ प्रेरक और पूरक बनकर रहें तो जीवन बहुत शानदार हो जाएगा। जहां तक सेल्फ डिपेंड की बात है पहले पिता पर डिपेंड थे फिर पति पर डिपेंड हुए और भविष्य में बच्चों पर डिपेंड होना पड़ेगा।।तो मुनिश्री ने कहा कि पति पत्नी पर डिपेंड कितना रहता है जिसकी पत्नी खो गई है उससे पूछो। एक दूसरे के पूरक होना चाहिए। आप अपने बच्चों की परवरिश ऐसे करो कि कल आपके बच्चे भी आप की परवरिश अच्छे तरीके से करें। और यह उनका दायित्व भी होगा।
गंदगी को साफ करना पाप नहीं है
: मुनिश्री ने कहा गंदगी को साफ करना यह पाप कर्म नहीं है। सब तरफ लॉकडाउन में सफाई कर्मचारी पूरी ताकत से जुटे हुए हैं। यदि वह अपने काम नहीं करते तो पूरा शहर गंदगी और बदबू से पट जाता। उन्होंने कहा ऐसी कोई स्थिति अपने यहां आती है तो गिलानी से उठकर यह कार्य करना चाहिए।

 

 — अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी


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