संकटकाल में किया गया धर्म पुण्य नहीं है : मुनिश्री सुधा सागर


राजस्थान के किशनगढ़ नगर में चातुर्मासरत मुनि पुगंव श्री सुधा सागर जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि सही एवं गलत निमित्त को पहचानिए। संकटकाल में किया गया धर्म पुण्य नहीं है। मुनिश्री सुधा सागर जी किशनगढ़ में सकल दिगम्बर जैन समाज एवं श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के तत्वाधान में आर. के. कम्युनिटी सेंटर में आयोजित श्री चौबीस कल्पद्रुम महामंडल विधान के दौरान उक्त बात कही। उन्होंने कहा कि यदि पुरुषार्थ करने के बाद भी फल की प्राप्ति नहीं हो तब उसे धर्म करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि भविष्य सुरक्षित रखने के लिए जिस प्रकार धन संचय करते हैं, उसी प्रकार भविष्य उद्धार हेतु पुण्य संचय भी करते रहना चाहिए और पुण्य कमाने का कोई मौका नहीं चूकना चाहिए। जीवन में स्वयं अर्जित पुण्य ही काम आता है। मुनिश्री ने कहा कि परिग्रह नरक का कारण है। मोह, अज्ञान सत्ययता को नहीं जानने देते। सच्चे देव शास्त्र गुरु की आराधना से वैभव को प्राप्त किया जा सकता है। धर्म पुरुषार्थ को महत्व देना चाहिए। इससे पूर्व प्रात:काल मुनिश्री ससंघ के सानिध्य में जिनेंद्र देव का अभिषेक, शांतिधारा की गई तत्पश्चात प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप के निर्देशन एवं नीलेश जैन एंड पार्टी के मधुर संगीत की धुनों पर सारे श्रद्धालुओं ने भक्ति-भाव के साथ नाचते-गाते अर्घ समर्पित किये।

सायंकालीन आरती के बाद सत्येंद्र शर्मा एण्ड पार्टी द्वारा मैना सुन्दरी नाटक के माध्यम से गंदोधक की महिमा पर आधारित पाटिका की मनमोहक प्रस्तुति दी। इस अवसर पर आर.के मार्बल के कंवरलाल, महावीर प्रसाद, अशोक कुमार, सुशीला, सुरेश कुमार, शांता पाटनी, दीपक रारा, निरजंन बैद, प्रकाशचंद गंगवाल, विनोद जैन, डा. किरणमाला, डॉ. विनोद जैन, सुरेश छाबडा, राजीव गंगवाल, नरेन्द्र कासलीवाल, कैलाश पहाडिया, नौरतमल पाटनी, एमके जैन, सुनील छाबडा, भागचंद चौधरी, घीसालाल बडजात्या, महावीर प्रसाद गंगवाल, सुभाष चौधरी, पदमचंद अजमेरा, ज्ञानचंद दगडा, राकेश पहाडिया, निहालचंद गंगवाल, अजित दोसी, ओमप्रकाश ठौल्या, अशोक लुहाडिया, संपत दगडा, अमित बडजात्या, नितेश पाटनी, विजय छाबडा, राजेन्द्र गंगवाल, सुशील अजमेरा, संजय जैन, इन्द्रचंद पाटनी, दिलीप बडजात्या, राजू काला सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद थे।


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