शिखरजी (पारसनाथ पर्वत) की पवित्रता को खतरा, समय रहते चेते जैन संगठन


जैन धर्म के सबसे बड़े सिद्धक्षेत्र श्री सम्मेद शिखर जी में वर्ष भर पूरे देश ही नहीं विदेशों से बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालुओं का आना-जाना बना रहता है। आने वाले सभी श्रद्धालु इस पवित्र क्षेत्र की वंदना कर स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं। एक ऐसे क्षेत्र जहां का कण-कण पूजनीय और  वंदनीय है, वहां इन दिनों पहाड़ पर फैलती गंदगी, अराजकता बढ़ती जा रही है। ऐसे में समाज के विभिन्न संगठनों को एक स्वर में पूरी ताकत के साथ राज्य सरकार/केंद्र सरकार के संज्ञान लाना चाहिए ताकि यह प्राचीन धरोहर सुरक्षित और महफूज रह सके।

बता दें कि जब से राज्य सरकार ने इस शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया है तब से यहां जैन श्रद्धालुओं के अलावा अजैन समाज के लोग भी बहुतायत की संख्या में आने लगे हैं और पूरे पहाड़ पर गंदगी फैला रहे हैं। जबकि राज्य सरकार ने प्रतिबद्धता जतायी थी कि पारसनाथ शिखर की पवित्रता पूरी तरह बनायी रखी जाएगी। इसके बाद भी यहां आने वाले अजैन पर्यटक शिखर पर पान, गुटखा, तम्बाकू आदि खाकर आते हैं और वहीं पर थूकते हैं तथा उसके पाउच, प्लास्टिक आदि वहीं फेंक देते हैं, जिससे शिखर कर पवित्रता को धक्का लग रहा है साथ ही यहां वंदना करने वाले आने वाले श्रद्धालुओं को ठेक पहुंचती है। इतना ही नहीं शिखर पर शराब एवं मांसाहार का सेवन भी धड़ल्ले से हो रहा है। इस बात का संज्ञान लेकर भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी ने उपायुक्त को पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत कराया है।

बीते 1 जनवरी को शिखर जी की वंदना करने एक सज्जन अपनी 2 किशोर बेटियों के साथ में पैदल गये। उन्होंने बताया कि शिखर पर अजैन कुछ मनचले उनके पीछे पड़ गये तथा बेटियों को देखकर अश्लील कमेंट्स कसने शुरू कर दिये। उन्होंने यह तक बताया कि मैं काफी डर गया था और बहुत मुश्किल से उन मनचलों से छुटकारा पाया। ये सब वहां की स्थानीय पुलिस का ढ़ीला रवैये को दर्शाता है।

संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभाष चंद्र जैन ने शिखर जी की पवित्रता को कायम रखने के लिए शिखर पर जाने से पूर्व मुख्य गेट पर चेकपोस्ट लगाकर उनकी एवं उनके सामान की जांच करने की मांग की है ताकि शिखर पर जाने वाले लोग अपने साथ कोई अवान्छित वस्तु लेकर न जा पाएं। इसके पूर्व वंदना करने के रास्ते पर बाइक चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने हेतु दो-तीन स्थानों पर बैरियर लगाने का आदेश दिया था किंतु अभी तक कुछ नहीं हुआ, और स्थिति अब बद से बदतर हो चुकी है।

 


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