दीक्षा ले शीला जैन बन गई विशिला माता


हिसार के जैन गल्र्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्रात: 07.00 बजे विरंजन सागर महाराज की मां जबलपुर निवासी शीला जैन (75) ने अपना केंशलोच करना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्हें थोड़ी पीड़ा हुई किंतु उन्होंने तप के सब को भुला दिया। बस एक ही जिज्ञासा मन में धारण किये रही कि उन्हें दीक्षा लेना है। इसके बाद दीक्षार्थी शीला जैन की विशाल शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें बैंड-बाजों के साथ नगर के मुख्य मागरे से होकर पुराना गवनमेंट कालेज मैदान में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव स्थल पर पहुंची। यहां गणाचार्य 108 विराग सागर जी ने मंत्रों से शीला जैन को दीक्षा प्रदान की। दीक्षा देने से पहले गणाचार्य ने शीला जैन से कहा कि तुम्हें सब कुछ त्यागना होगा।

अब तक आप परिवार के साथ थी किंतु अब उन्हें छोड़ना होगा। आपने किसी का जन्म, किसी की मृत्यु, किसी को रोते तो किसी को हंसते हुए देखा होगा, उस सब के बारे में भूलना पड़ेगा तो शीला जैन ने कहा कि मैंने सब कुछ देख लिया है। बस अब मैं दीक्षा लेना चाहती हूं। इस दौरान शीला जैन के परिवारीजनों से पूछा गया तो उनका भी कहना था कि ये काफी समय से दीक्षा लेने का इंतजार कर रही थी। दीक्षा के दौरान  विराग सागर जी ने शीला जैन के पंच मुष्ठी केश लोच किए। इस दौरान उन्हें पीछी और कमंडल भी दिया गया और आज से उनका नाम विशिला रख दिया गया है। आज के बाद वह अन्य साध्वियों की तरह अपना जीवन-यापन करेंगी। सफेद साड़ी पहनेंगी और हाथ में पीछी-कमंडल मौजूद रहेगा। हिसार में यह पहला अवसर है जब 75 वर्षीय को दीक्षा दी गई हो। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।


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