बेटे ने पिता को दीक्षा प्रदान कर बनाया अपना शिष्य


राजस्थान के प्रतापगढ़ नगर में एक ऐसी अनोखी घटना देखने को मिली कि जहां एक पिता ने अपने पुत्र का शिष्य बनना स्वीकार किया। जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर आयोजित कार्यक्रम में रविवार को आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने अपने पिता भागचंद को दीक्षा प्रदान की और उनका नामकरण क्षुल्लक सुखद सागर नाम से किया। आज से भागचंद्र (क्षुल्लक सुखद सागर)अपने पुत्र के शिष्य बनकर रहेंगे। प्रतापगढ़ में आयोजित दीक्षा के इस कार्यक्रम में इनके पिता भागचंद सहित अन्य दीक्षाथियरे ने भी दीक्षा ग्रहण की।

अपने पिता को दीक्षा देते समय आचार्यश्री ने कहा कि मेरे मन में संशय था और कई अन्य लोगों ने मुझसे कहा कि मैं अपने पिताजी से कैसे संघ और संत के नियम-कायदों को पूरे करा पाएंगे तो उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे पिताजी दीक्षा लेने के बाद संघ में रहकर, संघ के नियम-कायदों का वैसे ही पालन करेंगे जैसे कि संघ के अन्य संत करते हैं। दमोह निवासी भागचंद जी ने दीक्षा लेने से पूर्व कहा कि आज से 21 वर्ष पहले आचार्य सन्मति सागर जी महाराज से उनके बेटे को दीक्षा ग्रहण की थी और आज मैं अपने पुत्र से दीक्षा ग्रहण कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा 21वर्ष पहले ही धर्म प्रभावना मार्ग पर निकल पड़ा और उससे ही प्रेरित हो मेरी भावना भी ऐसी बनी कि मैं भी सब कुछ छोड़ धर्म-ध्यान के मार्ग पर चल सकूं।


Comments

comments