इंद्रियों को संयमित रखना ही जैन धर्म का मूल सिद्धांत


एटा नगर के बड़े जैन मंदिर में सम्यकज्ञान शिक्षण शिविर के समापन दिवस के अवसर पर सांगानेर, जयपुर से पधारे पं. संजीव कुमार जैन ने कहा कि अपनी इंद्रियों को संयमित रखना ही जैन धर्म का मूल सिद्धांत है। जिस मनुष्य की सभी ज्ञानेंद्रियों और कम्रेद्रियों पर नियंतण्रहोना शुरू हो जाता है, वही सही मायने में जैन है। प्रात: मंदिर में भगवान आदिनाथ और पार्श्वनाथ का अभिषेक हुआ तत्पश्चात शांतिधारा हुई, जिसमें भाग लेने जिले एवं आसपास के अन्य क्षेत्रों से काफी श्रद्धालु पहुंचे और शांतिधारा करने के लिए लाइन लगाकर अपनी-अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।

मंदिर परिसर में एकत्रित श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या का उत्साह को देखते ही बन रहा था। इसके बाद जिनेंद्र देव की पूजा एवं श्रीजी की महाआरती के बाद भक्ताम्भर स्त्रोत विधान किया गया। कार्यक्रम में अमन, दिपांश, सोना जैन शास्त्री, उमेश जैन, नवीन जैन, बात्सल्य जैन, विनोद जैन, अनंत जैन, सुनील जैन, रजनी जैन, साक्षी जैन, याचना जैन, चिंकी जैन, रोजी जैन, कुंदप्रभा जैन, दिपांशी जैन, समता जैन, सरोज जैन, रेशू जैन, आदि सहित बड़ी तादात में श्रद्धाुगण मौजूद थे।


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