जब एक गुरु ने शिष्य को ही अपना गुरु बना लिया


आरोन। विश्व वन्दनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 49 वा आचार्य पदारोहण दिवस बड़ा  जैन मंदिर मे  अभयसागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में मनाया गया इस अवसर पर मुनि श्री अभय सागर जी महाराज ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के साथ साथ उनके गुरु आचार्य गुरुवर ज्ञानसागर जी महाराज के जीवन पर भी प्रकाश डाला एवं भक्तो को दोनों गुरु शिष्यो के महान चारित्र से भी परिचय कराया।

  शिष्य को गुरु बनाने का रोचक प्रसंग  सुनाया

मुनि श्री अभयसागर जी महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज से 49 वर्ष पूर्व पहले राजस्थान के नसीराबाद में एक गुरु ने अपने शिष्य को ही अपना गुरु बना लिया। दादा गुरुदेव आचार्य श्री ज्ञानसागर जज महाराज ने ऐसा इसीलिए किया क्योंकि वह स्वयं उत्कृष्ट समाधिपूर्वक मरण करना चाहते थे। ऐसा प्रायः देखने में नही आता है जब कोई उत्कृष्ट समाधि के लिए अपने सभी पदों का त्याग कर दे।

लेकिन आचार्य गुरूवर ज्ञानसागर जी महाराज ने 1972 में अपनी अल्प आयु  जानकर अपने योग्य शिष्य विद्यासागर को अपना आचार्य पद देकर स्वयं उनके चरणों मे बैठकर उन्हे नमोस्तु निवेदित किया  था। यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है जब कोई साधक अपनी उत्कृष्ट समाधि के लिए अपनी समस्त जिम्मेदारीयो एवं पदों से मुक्त होकर अपनी आत्म साधना में लीन हो गया। और धन्य है आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज जो कि स्वयं अपनी तप,संयम साधना करते हुए सबके कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रहे है।

 

 

— अभिषेक जैन लुहाड़िया  रामगंजमंडी


Comments

comments

अपने क्षेत्र में हो रही जैन धर्म की विभिन्न गतिविधियों सहित जैन धर्म के किसी भी कार्यक्रम, महोत्सव आदि का विस्तृत समाचार/सूचना हमें भेज सकते हैं ताकि आप द्वारा भेजी सूचना दुनिया भर में फैले जैन समुदाय के लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा जैन धर्म से संबंधित कोई लेख/कहानी/ कोई अदभुत जानकारी या जैन मंदिरों का विवरण एवं फोटो, किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की video ( पूजा,सामूहिक आरती,पंचकल्याणक,मंदिर प्रतिष्ठा, गुरु वंदना,गुरु भक्ति,गुरु प्रवचन ) बना कर भी हमें भेज सकते हैं। आप द्वारा भेजी कोई भी अह्म जानकारी को हम आपके नाम सहित www.jain24.com पर प्रकाशित करेंगे।
Email – jain24online@gmail.com,
Whatsapp – 07042084535