भाई को बेटी सौंपकर संन्यासी बनीं अनामिका, पति ने पहले ली थी दीक्षा


100 करोड़ की प्रॉपर्टी और तीन साल की बेटी को छोड़ नीमच के मुनि सुमित राठौर की दीक्षा के बाद आखिरकार उनकी पत्नी अनामिका ने सूरत में बेहद सामान्‍य तरीके से दीक्षा ले ली | बताया जा रहा है कि यह दीक्षा कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिलाई गई. इस मौके पर राठौर परिवार के सदस्य और रिश्तेदार मौजूद रहें |

मिली जानकारी के अनुसार सूरत में सोमवार सुबह सात बजकर 15 मिनट पर सुबह 7 बज कर 15 मिनट पर अनामिका राठौर ने जैन भागवती दीक्षा लेकर श्रमणी वेश अंगीकार किया | अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के राष्‍ट्रीय मंत्री संदीप खाबिया ने बताया कि आचार्य रामलाल महाराज ने अनामिका को दीक्षा दी गई | उन्होंने कहा कि इस मामले में आ रही तमाम कानूनी रुकावटें दूर कर दी गईं |

वहीं, जैन संत महर्षि उदय मुनि ने कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग हो या राज्य मानवाधिकार आयोग हो, राज्य सरकार का कोई भी अफसर विशेषत: अल्पसंख्यक धर्म समूह के धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता |

महर्षि उदय मुनि ने बताया कि दीक्षा के पहले अनामिका से पूछताछ के लिए पुलिस के अफसर आए थे, तो उन्हें अनामिका ने उत्तर दिया, ‘बच्ची को अनाथ, असहाय, दीन-हीन अवस्था में छोड़कर नहीं जा रही हूं. मेरे भाई-भाभी को कोई संतान नहीं है, उन्होंने उसे सहर्ष गोद ले लिया | उसके प्रमाण में दस्तावेज भी प्रस्तुत किए. यह भी कहा कि मेरा पीहर और ससुराल परिवार भी करोड़पति है |

बता दें कि नीमच में 100 करोड़ की संपत्ति और तीन साल की मासूम बेटी को छोड़कर संन्यास ले रहे दंपति के मामले में ऐन मौके पर मासूम बेटी के कारण मां अनामिका के दीक्षा कार्यक्रम को टाल दिया गया था, जबकि पिता और कारोबारी सुमित राठौड़ दीक्षा ग्रहण कर सुमित मुनि बन गए थे |

Source: news18


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