कागज पर लिखना बड़ी बात नहीं जीवन में उतार लेना बड़ी बात है मुनि श्री


मड़ावरा(ललितपुर) -जैन धर्मावलंबियों के दस दिवसीय पर्युषण पर्व का अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर चर्याशिरोमणि आचार्यश्री विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावक सुयोग्य शिष्य मुनिश्री श्रमण सुप्रभसागर जी महाराज मुनिश्री श्रमण प्रणतसागर जी महाराज ससंघ के मंगल सान्निध्य में समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर का विविध कार्यक्रम के साथ शिविर का समापन  किया गया

इस मौके पर प्रातःकाल नगर सहित अंचल के सभी जैन मंदिरों पर श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा उपरांत सामूहिक रूप से दशलक्षण पूजन की गई

जगह-जगह समापन अवसर पर शोभायात्राएं निकाली गई भगवान के अभिषेक और आरती के बाद समाजजनों ने एक-दूसरे से क्षमायाचना की तप करने वाले समाजजनों का पर्युषण के दौरान उपवास करने वाले तपस्वियों का व् शिविरार्थियों का सम्मान किया गया

विभिन्न मार्गों से होते हुए निकली शोभायात्रा….

दोपहर में नेमिनाथ जिनालय से श्री जी के विमानों की शोभायात्रा निकाली गई नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए यह शोभा यात्रा श्री महावीर विद्याविहार ले जायी गयी शोभायात्रा में मुनि संघ के साथ चल रहे श्रावक अपने हाथों में धर्मध्वजा लेकर धर्मघोष करते हुए चल रहे थे साथ ही केशरिया वस्त्रों में महिलाएं अपने-अपने माथे पर मंगल कलश लेकर मांगलिक गीत गाते हुए चल रही थी शोभायात्रा में भारी संख्या जैन जैनेत्तर श्रद्धालु शामिल हुए जैन युवा जागृति संघ का चिरपरिचित म्यूजिकल दिव्यघोष अपनी स्वर लहरियों से माहौल को धर्ममय बनाते हुए चल रहा था साथ ही नन्हे मुन्ने बच्चों का आदिनाथ सेवा संघ भी पीछे न रहते हुए अपने बेंड की धुन में आगे धर्म प्रभावना करते हुए चल रहे थे कस्वे के विभिन्न मार्गों से होते हुए शोभायात्रा के  श्री महावीर विद्या विहार  पहुँचने पर समाजश्रेष्टियों  ने शिविरार्थी बंधुओ को श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया

इस दौरान धर्मसभा में उपस्तिथ मुनिश्री ने अपने मुखारबिन्द से अमृतवर्षा करते हुए कहा कि इस संसार के इंद्रियों के विषय और बुरी आदतों के साथ तन के राग का त्याग कर अपनी ब्रह्म स्वरूप आत्मा में रमण करना ही उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म है. ब्रह्मचर्य धर्म के पालन से शरीर दर्द एवं ज्ञान की वृद्धि होती है.  ब्रह्मचर्य में शिक्षा सिखाता है, उन परी ग्रहों का त्याग करना जो हमारे भौतिक संपर्क से जुड़ी हुई है. ब्रह्म जिसका मतलब आत्मा और चरिया मतलब रखना इसको मिलाकर ब्रह्मचर्य शब्द बना है. ब्रह्मचर्य का मतलब अपनी आत्मा में रहना है. इस दौरान पूजन के बाद निर्माण कांड का सामूहिक उच्चारण कर मोक्ष के प्रतीक स्वरूप निर्माण लड्डु चढ़ाया गया.

आगामी महीनों में कस्वे में आयोजित होगा पंचकल्याणक जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महामहोत्सव-

प्रदान किया श्री फल प्राचीन ग्यारह जिनालयों के समस्त पदाधिकारियो व भक्तोल्लासत वर्षायोग समिति के पदाधिकारियों ने द्वय मुनिराज के पावन चरणों मे श्री फल भेट कर पंचकल्याणक  जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महामहोत्सव आयोजित करवाने हेतु आशीर्वाद लिया बतादें कि सकल दिगम्बर जैन समाज मड़ावरा द्वारा कस्वे के आदिनाथ जिनालय में चौबीस जिनबिम्बो की स्थापना के साथ ही वर्तमान चौबीसी का निर्माण करवाने के भाव व्यक्त किये हैं  जिसमें जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा हेतु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव करने हेतु समाज जन द्वारा मुनि संघ के सानिध्य हेतु विनय की गयी है। सकल दिगम्बर जैन समाज के भक्ति भावों को देखते हुए मुनि श्री ने इस महामहोत्सव में मंगल सानिध्य प्रदान करने का आशीर्वाद प्रदान कर दिया है अब आगामी कुछ महीनों उपरांत कस्वे में पंचकल्याणक महामहोत्सव आयोजित करवाया जाना पक्का हो गया है

जैसे ही मुनि श्री का मंगल आशीर्वाद प्राप्त हुआ  सकल दिगंबर जैन समाज में आनन्द की लहर छा गयी समस्त युवाओं ने जय जयकारों से सभागार को गुंजायमान कर दिया सभा में उपस्तिथ श्रद्धालुओं ने करतल ध्वनि से महामहोत्सव की घोषणा का स्वागत किया।सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

 

— उमेश जैन नैकोरा


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