भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है योग- “सौरभ जैन सुमन”


समन्वय वाणी फाउंडेशन, जयपुर द्वारा संचालित अथाई संवाद समूह के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से ख्याति प्राप्त कवियों और कवियत्रियों ने अपना काव्य पाठ प्रस्तुत किया। कवि सम्मेलन का मुख्य आकर्षण था विशेष अतिथि के रूप में विराजित ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय कवि ओजस्वी वक्ता सौरभ सुमन । कवि सम्मेलन का शुभारंभ मां शारदे के पाठ से किया गया । सभी कवियों का स्वागत व परिचय कवि सम्मेलन के मुख्य संयोजक और अथाई संवाद समूह के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार अखिल बंसल ने किया। प्रथम काव्य पाठ दिल्ली के प्रोफ़ेसर डा. अनेकांत जैन ने प्रस्तुत किया ।

उन्होंने बताया जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने योग को विस्तार रूप से प्रकट किया था।काव्य का सार था गुरु का आभूषण ही मौन है! मौन से ही सभी कार्य संभव हो सकते हैं, वही मुक्ति रूपी कन्या के साथ परिणय करना हम सभी का लक्ष्य होना चाहिए। राजेन्द्र गुलेच्छा ने काव्य पाठ के माध्यम से जीवन के संस्कार में सूर्य नमस्कार के महत्व की चर्चा की और यम, नियम तथा योग को जीवन के तीन महत्वपूर्ण अंग बताए। दिल्ली के राकेश जैन ने योग से काया की निर्मलता बताई । कवियत्री सरिता जैन ने अपने काव्य पाठ में योग को स्वस्थ्य रहने का मूल मंत्र बताते हुए उसे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक बताया।

कवियत्री रुचि जैन ने कहा कि आत्मदर्शन योग से ही संभव है, जब तक मनुष्य के जीवन में संयम रूपी दीपक प्रज्वलित नहीं होगा तब तक मनुष्य का जीवन का उद्धार नहीं हो सकता ! नागपुर के सतीश लाखोटिया, जयपुर के अनिल जैन , मुंबई के डॉ अरिहंत जैन मालेगांव की डॉ अल्पना जैन,काटोल की पूजा नवीरा, मेरठ की नीरू जैन, जोधपुर की सुनिता मूंदडा व स्वाति जैसलमेरिया, कोलाघाट की ज्योति जैन तथा नरेश चावला आदि ने काव्य पाठ प्रस्तुत किया । समूह के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार अखिल बंसल ने अपने काव्य पाठ में कहा कि हमें आत्म दर्शन करने के लिए योग को अपनाना पड़ेगा । आपने कहा कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने हमें जो अध्यात्म योग की शिक्षा प्रदान की है उसको अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है!

कवि सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि ख्याति प्राप्त कवि सौरभ जैन सुमन ने अपने काव्य पाठ के दौरान कहा कि भारत की संस्कृति से योग लाकर बाबा ने हमें मालामाल कर दिया है और आज हम सब उस संस्कृति की छांव में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। योग हमारे जीवन का मूल अभिन्न अंग है जिसे प्रतिदिन अपनी जीवन चर्या में अपनाने की आवश्यकता है! योग से ही कठिन से कठिन कार्य की सिद्धि आसानी से प्राप्त होती है। अंत में आपने वीर रस के काव्य पाठ से सभी का मन मोह लिया।

कवि सम्मेलन का कुशल संचालन दिल्ली की डॉ इंदु जैन राष्ट्र गौरव ने किया तथा आभार प्रदर्शन मंगलायतन विश्वविद्यालय अलीगढ़ के प्रवक्ता मयंक जैन ने किया । आगरा, जयपुर अलीगढ़ और दिल्ली जैसे महानगरों के अनेक श्रोताओं ने काव्य पाठ का आनंद लिया।


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