णमोकार मंत्र का अर्थ एवं महिमा


णमो अरिहंताणं |

रंग सफेद अर्थ : मनुष्य को कैसा जिवन मार्ग अपनाना चाहिये | जिससे मोक्ष, मुक्ति, सिध्दि मिल जाये | ये बताने वालोंको कहा है अरिहंत | इन्हे मोह नहि लालच नहि पुरि तरह निर्वीकार माँ जैसे | इसीलिए इसका रंग सफेद जो चंद्र का है और चंद्र जल, मन, माँ का कारक ग्रह है | तो अरिहंतों को नमन करनेसे चंद्रकि शान्ति होती है | मन स्वस्थ रहता है |

णमो सिध्दाणं | 

रंग लाल अर्थ :- अरिहंतोके बताये मार्गसे जिन्होने मोक्ष याने सिध्दि प्राप्त कि ऐसे सिध्दोंको नमस्कार सिध्दि के लिये प्रयास, पुरषार्थ करना पडता है और इसी लिये शक्तिका और यश के प्रतिक मंगल ग्रहका लाल रंग है सिध्दका इनको नमन करनेसे उर्जा मिलती है और हमारे कार्य सिध्द होते है | दुसरे शब्दोमें मंगल ग्रहकि शांती होती है |

णमो आयरियाणं |

रंग पिला अर्थ :- हम जिसभी जाती या पंथ के हो हमारे आचार्योंको नमस्कार जो हमारे लिए ज्ञान अर्जन करते है वे ज्ञान का भंडार होते है | इन्हे नमन करनेसे हमारे ज्ञान में ऋध्दि होती है हम समाधानी रहते है | दुसरे शब्दोमें पिले रंगके गुरु ग्रहकि शांती होती है |

णमो उवज्झायाणं |

रंग हरा अर्थ :- हमारे उप-आचार्योंको नमस्कार जो आचार्योंने जो ज्ञान संपादन किया है उसे हम तक पहुचाते है , और हमारे प्रश्न या शंकाये आचार्यो तक पहुंचाते है | ये परस्पर संवाद या प्रसार का काम करते है इसी लिये बुध्दिके कारक बुध का हरा रंग इसका है | उप-आचार्योको नमन करनेसे बुध्दि तल्लख होती है | बच्चोमें अच्छे संस्कार होते है | दुसरे शब्दोमें बुध ग्रह कि शांन्ति होती है |

णमो लोएसव्वसाहूणं |

रंग काला या गडद नीला अर्थ :- जगतके सभी साधुओं को नमस्कार  साधु याने जो नियमोंका पालन करके वैराग भावसे अपने साधु धर्मका आचरन करते है ऐसे सभी साधुओं को नमन | शनी ग्रह वैराग्य और न्याय का प्रतिक है इसी लिये इसका रंग काला या गडद नीला | सभी साधुओंको नमन करनेसे हमारी सहेनशक्ति बढती है | हमारी हड्डीया मजबुत होती है | दुसरे शब्दोंमे शनी ग्रहकी शांन्ति होती है |

 

इसी प्रकार

एसो पंच नमुक्कारो, अर्थ :- ऐसे पाचोंको नमन करनेसे (सभी ग्रहोको नियंत्रीत करनेवाले सुर्य ग्रह कि शांन्ति )

सव्व पावप्पणासणो, अर्थ :- सभी पापोंका नाश होता है | ( पिछले जन्मोके पाप का कारक राहू ग्रह कि शांन्ति होती है )

मंगलाणंच सव्वेसिं, अर्थ :- सभी प्रकारसे मंगल होगा | (पिछले जन्मके पुण्यका उदय मतलब केतू ग्रह कि शान्ति )

पढमं हवइ मंगलं, अर्थ :- और आनंद का उस्तव होगा | ( शुक्र ग्रह जो आनंद उस्तव का प्रतिक है उसकी शान्ति )

पहेले जो पाच नमन है वह किसी व्यक्ति विशेष या भगवान को नहि है ये सिर्फ उन पदोंको नमन है | पद याने राष्ट्रपति, मुख्यध्यापक, ऐसे पद याने पदवी है |  और यह पद सभी धर्मोमे होते है नाम अलग होंगे | और यहाँ कहि भी कोइ धर्म का उल्लेख नहि है | यहाँ जैन अरिहंताणं नहि लिखा है | इसी लिये यह सर्वधर्म समभाव का सबसे आदर्श उदाहरण है | इसके नौ पद को समझके ( समझके ) जाप करनेसे नौ ग्रहों कि शान्ति होती है | तो आपको कही जाने कि अवश्यकता हि नही | इसी लिये यह सर्वोत्तम याने महामंत्र है |

जय जिनेन्द्र !                          जय जिनेन्द्र !                           जय जिनेन्द्र !


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