18th Arahnath Bhagwan


अठारहवें तीर्थंकर भगवान श्री अरनाथ जी हैं। जिनका जन्म हस्तिनापुर के इक्ष्वाकुवंश में मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष दशमी को रेवती नक्षत्र में हुआ था. इनके माता का नाम माता मित्रा देवी रानी और पिता का नाम राजा सुदर्शन था. बचपन में इनका नाम अर कुमार था. इनके शरीर का वर्ण सुवर्ण था जबकि इनका चिन्ह मछली था. इनके यक्ष का नाम यक्षेन्द्र और यक्षिणी का नाम धारिणी देवी था. जैन धर्मावलम्बियों के अनुसार इनके गणधरों की कुल संख्या 33 थी, जिनमें कुम्भ स्वामी इनके प्रथम गणधर थे. भगवान श्री अरनाथ जी ने मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को दीक्षा की प्राप्ति की थी और दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् 2 दिन बाद खीर से इन्होनें प्रथम पारणा किया था. दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् 3 वर्ष तक कठोर तप करने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी को हस्तिनापुर में ही आम के वृक्ष के नीचे भगवान श्री अरनाथ जी को कैवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई थी.
मार्गशीर्ष मास के दशमी तिथि को भगवान श्री अरनाथ जी ने सम्मेद शिखर पर एक हज़ार साधुओं के साथ निर्वाण को प्राप्त किया था.

 

Heaven Sarvarthasiddha
Birthplace Gajapura
Diksha Place Samed Shikharji
Father’s Name Sudarsana
Mother’s Name Devirani
Complexion golden
Symbol Nandyavarta
Height 30 dhanusha
Age 84,000 common years
Tree Diksha or Vat Vriksh Amba
Attendant spirits/ Yaksha Yaksheta
Yakshini Dhana
First Arya Kumbha
First Aryika Rakshita

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