Namokar/Navkar Mantra
NAMO ARIHANTANAM
NAMO SIDDHANAM
NAMO AYARIYANAM
NAMO UVAJJHAYANAM
NAMO LOE SAVVASAHUNAM
ESO PANCH NAMOKKARO
SAVVA PAVA PPANASANO
MANGALANANCHA SAVVESIM
PADHAMAM HAVEI MANGALAM
णमो अरिहंताणं । णमो सिध्दाणं । णमो आयरियाणं ।
णमो उवज्झयाणं । णमो लोए सव्वसाहुणं ।
एसो पंच णम्मुकारो, सव्व पावप्पणासणो ।
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ॥
चत्तारि मंगलं- अरिहंत मंगलं, सिद्ध मंगलं, साहु मंगलं, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलं।
चत्तारि लोगुत्तमा- अरिहंत लोगुत्तमा, सिद्ध लोगुत्तमा, साहु लोगुत्तमा, केवलिपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा।
चत्तारि सरणं पव्वज्जामि- अरिहंत सरणं पव्वज्जामि, सिद्ध सरणं पव्वज्जामि, साहु सरणं पव्वज्जामि, केवलि पण्णत्तो धम्मो सरणं पव्वज्जामि।
एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पाव-प्पणासणो।
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं॥
अरिहंतो को नमस्कार।
सिद्धों को नमस्कार।
आचार्यों को नमस्कार।
उपाध्यायों को नमस्कार।
सर्व साधुओं को नमस्कार।
ये पांच परमेष्ठी हैं। इन पवित्र आत्माओं को शुद्ध भावपूर्वक किया गया यह पंच नमस्कार सब पापों का नाश करने वाला है। संसार में सबसे उत्तम मंगल है।
इस मंत्र के प्रथम पांच पदों में 35 अक्षर और शेष दो पदों में 33 अक्षर हैं। इसतरह कुल 68 अक्षरों का यह महामंत्र समस्त कार्यों को सिद्ध करने वाला व कल्याणकारी अनादि सिद्ध मंत्र है। इसकी आराधना करने वाला स्वर्ग और मुक्ति को प्राप्त कर लेता है।
Comments
Email – jain24online@gmail.com,
Whatsapp – 07042084535