मंदिर जी के भूगर्भ में चतुर्थ कालीन (राजा खरदूषण दोवारा प्रतिष्ठित तथा भ. रामचन्द्रजी द्वारा पूज्यनीय ) २० वे तीर्थकर श्री १००८ मुनिसुव्रतनाथ भगवान की श्यामवर्ण वालुकामय विशाल मनोज्ञ मूर्ति ध्यानस्थ मूर्दा में विराजमान है |
परम पूज्य तपोनिथी समाधिस्थ श्री १०८ मुनि सुपार्श्वनाथजी महाराज की प्रन्दना से इस शास्त्र के जिर्नोदुवार का काम हुवा है | इसी स्थान पर सन १९६४ में पंजक्ल्यान महोत्सव एक विशाल समारोह के साथ संपन हुवा था |
यूं तो शास्त्रे का वाषिर्क मेला जय्त्र शु . १५ कोलकता है फिर भी प्रति शनि आमवस्या को हजारो की संखिया में यात्रिगन शास्त्रे दर्शन को पधारकर मनोवान्झित फल प्राप्त करता है |
यह क्षेत्र औरंगाबाद जिले से दक्षिण की और ५५ किलोमीटर दूर सोरमय गोदावरी नदी के तट पर स्थित है |
20th Tirthankar Shri Munisuvratnath bhagwan’s statue. In Year 1964, panchkalyanak mahotsav was organized at Paithan.
Paithan is 55 km away from Aurangabad District, situated on Sormay Godavari River.