4 Abhinandan Nath Bhagwan


जैन धर्म के चौथे तीर्थंकर भगवान अभिनन्दननाथ हैं। भगवान अभिनन्दननाथ जी को अभिनन्दन स्वामी के नाम से भी जाना जाता है।
अभिनन्दननाथ स्वामी का जन्म इक्ष्वाकु वंश में माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को हुआ था। अयोध्या में जन्मे अभिनन्दननाथ जी की माता सिद्धार्था देवी और पिता राजा संवर थे। इनका वर्ण सुवर्ण और चिह्न बंदर था। इनके यक्ष का नाम यक्षेश्वर और यक्षिणी का नाम व्रजशृंखला था। अपने पिता की आज्ञानुसार अभिनन्दननाथ जी ने राज्य का संचालन भी किया। लेकिन जल्द ही उनका सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया।

मान्यतानुसार माघ मास की शुक्ल द्वादशी को अभिनन्दननाथ जी को दीक्षा प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने कठोर तप किया जिसके परिणामस्वरूप पौष शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। जैन मतानुसार वैशाख शुक्ल की अष्टमी तिथि को सम्मेद शिखर पर भगवान अभिनन्दननाथ ने निर्वाण प्राप्त किया।

 

Heaven Jayantavimana
Birthplace Ayodhya
Diksha Place Samed Shikharji
Father’s Name Sambararaja
Mother’s Name Siddhartha
Complexion Golden
Symbol ape
Height 350 dhanusha
Age 5,000,000 purva
Tree Diksha or Vat Vriksh Priyangu
Attendant spirits/ Yaksha Yakshesvara
Yakshini Vajrasrinkhala
First Arya Vajranabha
First Aryika Ajita

 

 


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