Home Jain News शाश्वत सुख की प्राप्ति के लिए एकत्व की भावना भाऐं: आर्यिका पूर्णमति माताजी

शाश्वत सुख की प्राप्ति के लिए एकत्व की भावना भाऐं: आर्यिका पूर्णमति माताजी

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शाश्वत सुख की प्राप्ति के लिए एकत्व की भावना भाऐं: आर्यिका पूर्णमति माताजी

देवास। आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनिश्री दुर्लभ सागरजी, मुनिश्री संधान सागरजी एवं आर्यिका पूर्णमति माताजी ससंघ का स्थानीय भोपाल चौराहे पर आज वात्सल्यमयी मंगल मिलन हुआ। माताजी ने जमीन पर बैठ जब मुनि संघ की वंदना की और उन्हें नमोस्तु किया तो सारा माहौल आचार्य श्री विद्यासागर जी एवं मुनि संघ और आर्यिका माता के जयकारों से गूंज उठा।

तत्पश्चात नयापुरा स्थित श्रमण संस्कृति सदन मैं मुनिश्री एवं आर्यिका पूर्णमति माताजी के प्रवचन हुए। माताजी ने प्रवचन देते हुए कहा कि शाश्वत सुख की प्राप्ति के लिए एकत्व की भावना भाऐं। दुनिया की बातें बहुत सुनी, अब अपनी आत्मा की सुनो। जो अकेले का आनंद है वह कहीं नहीं है, तुम सदा अकेले थे, अकेले हो, अकेले ही रहोगे इसलिए सबसे मिलकर भी एकत्व की भावना भाऐं।

मुनिश्री दुर्लभसागरजी जी ने कहा कि देशना सुनने की त्रष्णा सुनने से नहीं मानने से समाप्त होती है। मुनिश्री संधान सागरजी ने कहा कि हमारे अंतरंग में अनादि से राग द्वेष भरे हैं उससे मुक्त हुए बिना मुक्ति संभव नहीं है।
इस अवसर पर काफी संख्या में इंदौर से श्रद्धालु देवास पहुंचे थे जिनमें प्रमुख रूप से अमित कासलीवाल, मुकेश टोंगिया,मनीष नायक, डॉक्टर जैनेंद्र जैन, राजेश जैन दद्दू, डी एल जैन, पुष्पा कासलीवाल, निर्मला जैन, मुक्ता जैन और श्रीमती रानी डोषी आदि उपस्थित थे धर्मसभा का संचालन नीरज छाबड़ा ने किया।

— राजेश जैन दद्दू


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