मधुबन में आध्यात्मिक होली खेलने पहुंचते हैं दूर-दूर से श्रद्धालु


फागुन महीना आते ही आमतौर पर लोग होली की मस्ती भरी रंगों की बौछारों में सरोबार होना शुरू कर देते हैं।  हों भी क्यों न, फागुन का मस्ती भरा हाली का त्यौहार ही ऐसा है। आज हम आपको पूर्णरुपेण धार्मिक और आध्यात्मिक रंगों से सरोबार मधुबन (श्री सम्मेद शिखर जी) की होली के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इस होली में न रंग, न गुलाल और न ही पानी किंतु मस्ती और उमंग ऐसी कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां की आध्यात्मिक होली में रंगने चले आते हैं।

हालात यह हैं कि अभी से विभिन्न धर्मशालाओं, गेस्ट हाउस आदि के अधिकांश कमरे बुक हो जुके हैं। यहां की विभिन्न संस्थाओं में भी होली की जबर्दस्त तैयारी चल रही है। बता दें कि होली पर यहां पर दूर-दराज से श्रद्धालु यहां आते हैं  और हाली पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लिहाजा होली अभी कुछ दूर हैं किंतु तैयारियां अभी से शुरू की जा चुकी हैं।  मंदिर परिसर में रंग-रोगन, तोरणद्वारा सहित पंडाल आदि के निर्माण का कार्य चरम पर है।

जैन श्वेताम्बर सोसाइटी स्थित भोमिया जी मंदिर को भी सजाया और संवारा जा रहा है साथ ही संस्था में जोर-शोर से आकषर्क बनाने का काम चल रहा है। बता दें कि होली यानी फागुन पूर्णिमा को यहां पर रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम के लिए कोलकाता से कई भजन मंडलियां आती हैं। भजन के बाद श्रद्धालु बाबा भोमिया को गुलाल अर्पित कर होली मनाते हैं।


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