शिकारगढ़ नगर में जयमल जैन आध्यात्मिक शिविर के 15दिवसीय आयोजन के दौरान आचार्य पार्श्वचंद्र महाराज ने शिविर में आये श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हर शब्द की अपनी महिमा और महत्व होता है। इसी तरह उन्होंने ‘भ’ शब्द के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा अपने जीवन में ‘भ’ यानी भोजन, भाषा, भगवान और भेष। भोजन के बारे में बताया कि जैसा भोजन हम ग्रहण करेंगे, वैसे ही विचार होंगे और वैसा ही आचरण करेंगे। इसी तरह भाषा के बारे में कहा कि भाषा से ही परिवार का संस्कार पता चलता है। यदि हम दूसरों से मधुर भाषा का उपयोग करेंगे तो कितना भी कटु बालेने वाला क्यों न हो, वह भी आपसे कटुता से बात नहीं कर पाएगा। इसी तरह प्रात:काल उठने के बाद और कदम-कदम पर भगवान का स्मरण करें। भेष यानी वस्त्र ऐसे पहने, जिससे शरीर की शालीनता बनी रहे। उन्होंने आगे कहा कि इन चार बातों को जीवनचर्या में ढ़ाल लेंगे तो जीवन सुंदर और स्वर्ग बन जाएगा। जयधुरेंद्र मुनि ने कहा कि जो व्यक्ति छह प्रवृत्तियों चलना, खड़ा होना, बैठना, सोना, खाना और बोलने का ध्यान रखता है, वह व्यक्ति हमेशा सुखी और शांतिपूर्ण जीवन को व्यतीत करता है। कार्यक्रम में आचार्य शुभचंद्र मुनि, आचार्य पार्श्वमुनि, पदमचंद्र महाराज ने भी अपने-अपने उद्गार व्यक्त किये। 15दिवसीय शिविर के दौरान 28 मई को अहिंसा रैली निकाली जाएगी। शिविर में जैन बच्चों को जैन धर्म से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी जा रही हैं।
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