जैसलमेर के जैन मंदिरों की अदभुत कारीगरी से अभिभूत हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश


राजस्थान के जैसलमेर के स्वर्णनगरी दुर्ग में स्थित जैन मंदिर में चेन्नई हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस बास्करन सोनार किले के अंदर जैन चिंतामणि मंदिर सहित अन्य मंदिरों की अधिपत्यकला, अनूठी कारीगरी, नक्कासी भरे स्तम्भ और वैभवता को देख अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके और उन्हें कहना ही पड़ा कि जैसलमेर के जैन मंदिर वैभव और विशिष्टता का अदभुत खजाना है और इसके कला एवं पुरातत्वीय धर्म ग्रंथों को संरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां यहां की अद्भुत संमृद्ध वैभवतापूर्ण सांस्कृति विरासत को देख सकें।

बुधवार को चेन्नई हाईकोर्ट के न्यायाधीश सपत्नीक सोनार किले के जैन मंदिर पहुंचे और वर्ष 2074 वर्ष अति प्राचीन भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन कर उनकी पूजा-अर्चना की। उन्होंने 15वीं शताब्दी के जिनभद्र सूरी ज्ञान भंडार में संग्रहित ताड़पत्रों एवं भोजपत्रों पर स्वर्ण एवं रजत चित्रांकित कृतियों का भी अवलोकन किया। इसके बाद उन्होंने पटवा हवेली की सुंदरता को भी देखा। पटवा हवेली के वंशज महेंद्र भाई बापना एवं अजरुन भंसाली एवं शेरसिंह राखेचा ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वगत किया और जैसलमेर जुहारिये पुस्तक भेंट की। लौद्रवपुर श्री पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट के तत्वाधान में उनका राजस्थानी परंपरा से उनका स्वागत किया गया। सहमंत्री नेमीचंद्र जैन, ट्रस्टी अजरुन भंसाली, कोषाध्यक्ष शेरसिंह राखेचा, महेंद्र भाई बापना ने मुख्य न्यायाधीश का तिलक लगाकर माल्यापर्ण किया एवं उन्हें राजस्थानी साफा पहनाकर श्रीफल के साथ स्मृति चिन्ह भेंट किया।


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