प्राकृत भाषा भारत की एक प्राचीन भाषा है जिससे भारत की अन्यान्य भाषाओं और बोलियों का जन्म हुआ है। इस भाषा में हज़ारों की संख्या में जैन आगम लिखे गए जो लगभग 2000 वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन हैं।
प्राकृत भाषा के विद्वानों की पिछले कई दशकों से मांग थी कि इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा सरकार द्वारा दिया जाय ताकि इस भाषा का संरक्षण और संवर्धन किया जा सके । उनके इस अनुरोध को स्वीकारते हुए भारत सरकार ने प्राकृत भाषा को शास्त्रीय दर्जा प्रदान करने की घोषणा दिनाँक 3/10/24 को कर दी है। इसके साथ साथ उन्होंने पाली,असमिया ,मराठी ,बंगला भाषा को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया है।
प्राकृत भाषा में ही प्रकाशित होने वाली प्रथम पत्रिका पागद – भासा के संपादक प्रो अनेकांत कुमार जैन जी ने इस हेतु प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर उन्हें इस कार्य हेतु आभार और धन्यवाद ज्ञापित किया है। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आरंभ से ही भारतीय भाषाओं के संरक्षण की मुहिम छेड़ रखी है। नई शिक्षा नीति में भी भारतीय भाषाओं को प्रमुखता प्रदान की गई है तथा अन्यान्य अनेक निर्णय इस पक्ष में लिए गए है।