निर्विकल्प र्निद्वंद्व एकाकी आत्मा की अनुभूति ही आकिंचन्य धर्म : मुनि श्री विरंजन सागर


गुढ़ा। श्री दिगम्बर जैन मन्दिर गुढ़ा में जनसंत विरंजन सागर जी गुरुवर ससंघ के मंगल सानिध्य में चल रहे पर्यूषण पर्व के अन्तर्गत जनसंत वाणी के माध्यम से उत्तम आकिंचन्य धर्म पर ऑनलाइन प्रवचन में कहा कि जीवन की यात्रा अकेले अकेले , चुपचाप चुपचाप नदी की तरह करनी होगी । जैसे नदी बिना किसी की प्रतीक्षा किये , बिना किसी से बातचीत किये , समर्पित भाव – भाषा में एक लक्ष्य बनाकर चलती है , ठीक वैसे ही हमें जीवन की यात्रा करनी होगी । तब कहीं जाकर के विशाल धर्म के सागर से हमारी मुलाकात होगी । और हम उसमें मिलकर / मिटकर स्वयं सागर बन जाओगे । सागर सी इस अनन्त सत्ता को पाने के लिये बहुत कुछ विचार करने की जरूरत है ।

जीवन के अन्तरंग तत्त्व का स्पर्श करने की जरूरत है। आज का यह धर्म बताता है कि निर्विकल्प र्निद्वंद्व एकाकी आत्मा की अनुभूति में उतरना पड़ता है।
मंगलवार को दसलक्षण धर्म के अंतिम दिन जनसंत विरंजन सागर जी गुरुवर ससंघ के मंगल सानिध्य में वासुपूज्य भगवान का महामस्तिष्काभिषेक होगा जिसे ऑनलाइन दिखाया जाएगा, जिससे घर पर ही श्रद्धालु देख सकें। संघस्थ अंशुल भैया ने जानकारी देते हुए बताया कि बहुत साल बाद गुढ़ा नगर के मूलनायक भगवान वासुपूज्य जी का महामस्तिकाभिषेक आज सुबह 7 बजे से होगा श्री दिगम्बर जैन मन्दिर गुढ़ा मे चार वेदी हैं जिनका एक साथ एक ही समय पर महा मस्तिष्काभिषेक किया जाएगा साथ ही अनंत चतुर्दशी एवं दशलक्षण का अंतिम दिन उत्तम ब्रम्हचर्य भी मनाया जाएगा इसी के साथ चल रहे 10 दिन से चल रहे श्री तत्वार्थ सूत्र महामण्डल विधान का समापन भी किया जाएगा। यह सारे कार्यक्रम ऑनलाइन जनसंत वाणी यू ट्यूब चैनल व जनसंत वाणी फेसबुक पर लाइव दिखाया जाऐगा । इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि घर पर रहें,स्वस्थ रहें, जिंदगी है तो जहाँ हैं।

पर्युषण पर्व के अंतिम दिन भगवान वासुपूज्य का ऑनलाइन दिखाया जाएगा महामस्तिकाभिषेक


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