आचार्य-मुनि के मिलन का मार्मिक नजारा, श्रद्धालु देखते ही रहे।


इंदौर रोड पर तक्षशिला स्कूल के सामने दो मुनियों के मिलन का अति मनोहारी और मार्मिक नजारे को श्रद्धालु देखते ही रह गये। 20वीं सदी के प्रथम दिगम्बर आचार्य वर्धमान सागर और मुनि प्रज्ञा सागर बुधवार को इंदौर रोड पर तक्षशिला स्कूल के पास एक-दूसरे से मिले। इस अदभुत नजारे को देखने भारी तादात में जैन श्रद्धालु उपस्थित थे। बैंड-बाजों, ध्वजपताकायें सहित मुनिराज के जय-जयकारों के बीच 37 साधु-साध्वियों के साथ आचार्य ने श्री महावीर तपोभूमि में मंगल प्रवेश किया। आचार्यश्री की आगवानी में महिलाओं ने रास्ते में कई जगहों पर आकषर्क रंगोली सजाई तो प्रज्ञाकला मंच एवं अन्य मंडलों की महिलाएं एकसे वस्त्रों में कलश लेकर चल रही थी। तपोभूमि में आचार्यश्री का 27 परिवारों द्वारा पाद पक्षालन किया।

आचार्य ने संसघ भगवान महावीर की विशाल प्रतिमा के दर्शन किये। इसके बाद कलश एवं शांतिधारा की क्रियायें सम्पन्न की गई। दोपहर 01.00 बजे वारिध महोत्सव शुरू हुआ। सभी साधु-साध्वी एक साथ मंच कर विराजित हुए। इसके बाद प्रज्ञाकला मंच की महिलाओं एवं बालिकाओं ने धार्मिक नृत्य प्रस्तुत किये। आचार्यश्री के 27वें पदारोहण वर्ष का उज्जैन से शुभारम्भ होने पर 27 परिवारों ने आचार्यश्री को शास्त्र भेंटकर 27 दीपकों से आरती की। कार्यक्रम में अशोक जैन चायवाला, महेश जैन, हेमंत पाटनी, पवन बोहरा, सुनील जैन, धम्रेद्र सेठी, राजेंद्र लुहाड़िया, विनीता कासलीवाल, रूबी जैन, शगुनचंद्र सेठी, फूलचंद्र छाबड़ा, डा. नेमीचंद्र जैन आदि मौजूद थे। इसी दौरान मुनिश्री प्रज्ञा सागर ने अपना चातुर्मास जयपुर के बापूगांव छोटा गिरनार में करने की घोषणा की है और कहा है कि वह प्रतिदिन 30 किमी. विहार में चलेंगे और लगभग 24 जुलाई को जयपुर पहुंचेंगे। कार्यक्रम के पश्चात आचार्य वर्धमान सागर सायं तपोभूमि से विहार कर इंदौर के लिए रवाना हुए।


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