मै तुम चरण-कमल गुणगाय स्तुति – Mai Tum Charan Kamal Gunagaay Stuti


(चौपाई छन्द)
मैं तुम चरण-कमल गुणगाय, बहुविधि-भक्ति करूं मनलाय |
जनम-जनम प्रभु पाऊँ तोहि, यह सेवाफल दीजे मोहि ||१||

कृपा तिहारी ऐसी होय, जामन-मरन मिटावो मोय |
बार-बार मैं विनती करूँ, तुम सेयां भवसागर तरूँ ||२||

नाम लेत सब दु:ख मिट जाय, तुम दर्शन देख्यो प्रभु आय |
तुम हो प्रभु देवनि के देव, मैं तो करूँ चरण की सेव ||३||

जिन-पूजा तें सब सुख होय, जिन-पूजा-सम अवर न कोय |
जिन-पूजा तें स्वर्ग-विमान, अनुक्रम तें पावें निर्वाण ||४||

मैं आयो पूजन के काज, मेरो जन्म सफल भयो आज |
पूजा करके नवाऊँ शीश, मुझ अपराध क्षमहु जगदीश ||५||

(दोहा छन्द)
सुख देना दु:ख मेटना, यही तुम्हारी बान |
मो गरीब की वीनती, सुन लीजो भगवान ||१|।

दर्शन करते देव के, आदि मध्य अवसान |
सुरगनि के सुख भोगकर, पाऊँ मोक्ष निधान ||२||

जैसी महिमा तुम-विषै, और धरे नहिं कोय |
जो सूरज में ज्योति है, नहिं तारागण सोय ||३||

नाथ तिहारे नाम तें, अघ छिनमाँहि पलाय |
ज्यों दिनकर-परकाश तें, अंधकार विनशाय ||४||

बहुत प्रशंसा क्या करूँ, मैं प्रभु बहुत अजान |
पूजाविधि जानूँ नहीं, शरन राखो भगवान् ||५||


Comments

comments

अपने क्षेत्र में हो रही जैन धर्म की विभिन्न गतिविधियों सहित जैन धर्म के किसी भी कार्यक्रम, महोत्सव आदि का विस्तृत समाचार/सूचना हमें भेज सकते हैं ताकि आप द्वारा भेजी सूचना दुनिया भर में फैले जैन समुदाय के लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा जैन धर्म से संबंधित कोई लेख/कहानी/ कोई अदभुत जानकारी या जैन मंदिरों का विवरण एवं फोटो, किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की video ( पूजा,सामूहिक आरती,पंचकल्याणक,मंदिर प्रतिष्ठा, गुरु वंदना,गुरु भक्ति,गुरु प्रवचन ) बना कर भी हमें भेज सकते हैं। आप द्वारा भेजी कोई भी अह्म जानकारी को हम आपके नाम सहित www.jain24.com पर प्रकाशित करेंगे।
Email – jain24online@gmail.com,
Whatsapp – 07042084535