श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मोराजड़ी, अजमेर, राजस्थान, यह क्षेत्र राजस्थान के अजमेर जिले से वाया नसीराबाद होते हुए ४५ किलोमीटर एवं किशन गढ़ से वाया श्रीनगर होते हुए ४६ किलोमीटर दूर हैं. बीजोलिया अभिलेख में उल्लेखानुसार कासल्देव के पुत्र पृथ्वीराज द्वितीय ने जैन मंदिर के लिए मोरकुटी (मोरज्ड़ी) ग्राम दान दिया, जिसे १७०४ में छोटे मंदिर का भव्य स्वरुप दिया गया. यहाँ स्थापित श्याम वर्ण खडगासन पार्श्वनाथ प्रतिमा स्वप्न देकर नदी से प्राप्त हुयी थी. यहाँ कांच मंदिर, स्वर्ण मंदिर, अलंकृत चंवरी व् संगमरमर का मानस्तंभ हैं.
Shree Parshwanath Digambar Jain Atishay Kshetra, place located 45 Km from Ajmer district via naseerabad and 46 km away from Kishangarh via Shri Nagar.
As per Bijolia record, Kasaldev’s son Prithviraj II donate the morkuti (Morjhadi) village for Jain Temple. In V.S. 1704, small temple incorporated.
Black characters, Khadasan statue of shree bhagwan parshwanath.