बेटे की असमय मृत्यु के बाद आदिवासी बच्चों के चेहरे की मुस्कान बने जैन दम्पत्ति


राजस्थान के जोधपुर नगर के भामाशाह परिवार के सोहनलाल जैन एवं धर्मपत्नी सुमित्रा जैन के पुत्र विमल जैन की वर्ष 2005 में एक सड़क हादसे में असामायिक मृत्यु हो गई थी। उसके बाद से ही उक्त जैन दम्पत्ति अपने आस-पास के क्षेत्रों के आदिवासी बच्चों की मुस्कान बने हुए हैं और उन्हें शिक्षित करने के लिए लगातार मुहिम चला रहे हैं। इसके अलावा उन्हें शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कपड़े, किताबें, स्टेशनरी समेत अन्य सामग्री का निशुल्क वितरण करते हैं।

भामाशाह परिवार के ये दम्पत्ति जिले के पिंडवाडा क्षेत्र के आदिवासी क्षेत्र फूलाबाईखेड़ा, पंचदेवल, अचपुरा, कोटड़ा, गाड़यिा, ढँगां, पहाडकला, मालेरा, भूला, वालोरिया, मोरस, घरट सहित कई अन्य विद्यालयों के लगभग हजारों बच्चों को कापी-किताबें, कपड़े, स्टेशनरी समेत खाने का सामान नि:शुल्क वितरित करते आ रहे हैं। ज्ञातव्य हो कि अपने पुत्र विमल की असमय मृत्यु के बाद उक्त दम्पत्ति ने सेवा को ही अपना जीवन में लिया और पूरा जीवन इसी में समर्पित करने का संकल्प कर लिया। उनके अनुसर बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देख उन्हें जो आत्मिक सुख की अनुभूति होती है, वह कहीं और संभव नहीं है।


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