Home Jain News दिल्ली के कृष्णा नगर में रामगंजमंडी नगर के भक्तों को आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज की चरण वंदना एवं पद प्रक्षालन का सौभाग्य प्राप्त हुआ

दिल्ली के कृष्णा नगर में रामगंजमंडी नगर के भक्तों को आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज की चरण वंदना एवं पद प्रक्षालन का सौभाग्य प्राप्त हुआ

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दिल्ली के कृष्णा नगर में रामगंजमंडी नगर के भक्तों को आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज की चरण वंदना एवं पद प्रक्षालन का सौभाग्य प्राप्त हुआ

दिल्ली। परम पूज्य आचार्य श्री 108 विमर्शसागर महाराज के दर्शन हेतु रामगंजमंडी का भक्त समूह कृष्णा नगर, दिल्ली पहुंचा और गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुदेव ने रामगंजमंडी नगर को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर रामगंजमंडी के भक्तों को आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन एवं उन्हें शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

भक्त समूह में दिलीप कुमार विनायका, अरुण विनायका, रमेश विनायका, अभिषेक लुहाड़िया, ललिता विनायका, सुलोचना लुहाड़िया, सुनीता विनायका आदि सम्मिलित थे। इस अवसर पर भक्तों ने गुरुदेव के समक्ष भक्ति कर उनका पूजन किया। कृष्णा नगर कमेटी द्वारा रामगंजमंडी के भक्तों का शाल, दुपट्टा और माला पहना कर अभिनंदन किया गया।

आचार्य श्री ने रामगंजमंडी को आशीर्वाद प्रदान करते हुए 2004 के चातुर्मास की स्मृतियों को भी साझा किया। अपने मंगल प्रवचनों में उन्होंने कहा, “व्यक्ति आत्मा से परमात्मा बन सकता है, लेकिन भगवान की भक्ति में आनंद तभी मिलेगा जब हम भीतर से प्यास पैदा करें कि मैं भगवान बनना चाहता हूं। ऐसी साधना करो कि मन निराकुल हो जाए, क्योंकि हम माया में आनंद ढूंढ रहे हैं।”

संसार के चक्र पर ध्यान दिलाते हुए गुरुदेव ने कहा, “संसार में संकलेश के अलावा कुछ नहीं है। भगवान की सच्ची भक्ति और आस्था से ही जीवन में नई शुरुआत होती है और तभी दुखों से मुक्ति मिलती है।”

मानव की वर्तमान दशा पर बोलते हुए गुरुदेव ने कहा, “आदमी भय के साथ जी रहा है। हर कदम पर भय है, लेकिन भगवान की भक्ति से व्यक्ति निर्भय हो सकता है। आत्मा के अनंत सुखों की पहचान करो। धर्म त्याग और नियम के मार्ग पर चलो, यही जीवन में लाभकारी होगा। यदि मानव यह चिंतन कर ले, तो जीवन में बदलाव आएगा और यह भव एवं परभव दोनों के लिए हितकारी होगा।”

— अभिषेक जैन लुहाड़िया


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