धार्मिक जीवनशैली से ही आत्मिक शांति सभंव : आचार्यश्री ज्ञानसागर


मेरठ। आचार्य शांति सागर छाणी परंपरा के छठे पट्टाचार्य ज्ञानसागर महाराज ने कहा कि नैतिक मूल्यों का पतन, भावनात्मक प्रदूषण, हिंसा, वैमनस्यता समाज के लिए बडी चुनौती है। इन चुनौतियों से निपटने में अहिंसात्मक जीवन शैली और मानवीय मूल्यों को लेकर सजगता जरूरी है। अहिंसक और धार्मिक जीवनशैली से ही आत्मिक शांति मिलना सभंव है। धर्मात्मा पर भी संकट आता है वह खुशी से इस अंगीकार करता है। जीवन का आनंद विपत्तियों में होता है। दुख मानव जीवन का श्रंगार है। विलासिता, भोगवादी संस्कृति के वशीभूत होकर मानव धर्म से विमुख हो जाता है और यह उसे सांसारिक कष्टों का अहसास कराता है।

जैनाचार्य ज्ञानसागर महाराज ससंघ कमला नगर स्थित दिगम्बर जैन मंदिर से विहार कर दिगम्बर जैन मंदिर कालिंदी (टीपीनगर) पहुंचे। रास्ते में श्रद्धालुओं ने कई स्थानों पर जैनाचार्य का पादप्रक्षालण किया और उसकी आरती की। कालिंदी में हुई धर्मसभा में सोनल जैन ने मंगलाचरण किया। साक्षी जैन, सौम्या जैन व अनुकृति ने भजन गाकर जैनाचार्य की आराधना की। दिल्ली, सरधना, बरनावा, अमीनगर सराय, गाजियाबाद, बुढ़ाना और शाहपुर सहित अन्य स्थानो से पहुंचे श्रद्धालुओं ने जैनाचार्य ज्ञान सागर महाराज को श्रीफल समर्पित किये। अपर जिलाधिकारी प्रशासन दिनेश चन्द्र, भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विनीत शारदा, संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन गुप्ता ने भी जैनाचार्य को श्रीफल अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया।

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जैनाचार्य ने अपने प्रवचन में कहा ‘धर्म और संतों का सानिध्य मानव को  बुराईयों से दूर रहने को प्रेरित करता है।  जिस मानव का मन मजबूत है, उसका पूरा जीवन मजबूत रहता है और जिसका मन कमजोर, उसका जीवन भी कमजोर रहता है। मन को मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए। प्रभु भक्ति, स्वाध्याय, प्रभु पूजा सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानो से इच्छा शक्ति लेने से मन मजबूत होता है। वर्तमान में युवा पीढ़ी थोड़ी विषम परिस्थतियों भी अपने जीवन से निराश हो जाती है, मगर ऐसी परिस्थतियों में उन्हे घबराना नही चाहिए। मानव में दया, करूणा और संवेदनशीलता का भाव होना चाहिए। मानव अपने जीवन में असंभव जैसा शब्द नही लाये। उसका ‘अ’ हटाकर संभव करके दिखाये।

जैनाचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति योग प्रधान रही है। हर मानव को धर्म की राह का अनुसरण कर आत्मशांति और परमात्मा से साक्षात्कार को तत्पर रहना चाहिए। ब्रमिचारिणी अनीता दीदी ने स्वाध्याय और साधु संतो की अगवानी करने को प्रेरित किया। वंदना जैन ने श्रद्धालुओं को धर्म से जुड़ने का आहवान किया। सभा में जैन मुनि सर्वानंद महाराज, विश्वनंद महाराज, ब्रमिचारिणी अनिता जैन व मंजुला जैन भी मंचासीन रहे। मंच संचालन पंकज जैन व नीरज जैन ने किया।  सभा में सुमत प्रसाद जैन, हंस कुमार जैन, विद्या जैन, नीलम जैन, संभव जैन, विवेक जैन (गाजियाबाद), धनराज जैन, मोतीराम जैन, नरेन्द्र जैन, सुनील जैन भी मौजूद रहे।


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