उत्तम त्याग करे जो कोई भोगभूमि सुर शिवसुख होई


श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर कोट ऊपर कामां पर पर्यूषण महापर्व के आठवें दिन दसलक्षण महामण्डल विधान के उत्तम त्याग धर्म के दिन प्रथम अभिषेक व शांतिधारा करने के लिए सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य महावीर प्रसाद देवेन्द्र कुमार (डी के जैन मित्तल) अतिशय जैन को मिला। और मंगलाचरण मीना जैन ने किया।

आचार्य विनीत सागर महाराज ने उत्तम त्याग धर्म के बारे में अपने प्रवचनों में बताया कि त्याग ही हमारी आत्मा को स्वस्थ और सुंदर बनाता है। जिस प्रकार गाय को भी दूध का त्याग करने पर संतुष्टि मिलती है और मनुष्य को मल को निकाले बिना संतुष्टि नहीं होती उसके बिना वह बीमार हो जाता है। जिस चीज को ग्रहण किया जाता है उसका त्याग भी किया जाता है त्याग हमें परिग्रह से मुक्ति दिलाता है। साधु अपनी मर्यादा अनुसार धर्म का दान करता है और श्रावक अपनी शक्ति अनुसार लक्ष्मी का दान करता है। धन संचय कर किये गये पाप को नष्ट करने के लिए दान करना जरूरी होता है। त्याग से मनुष्य ऋण मुक्त होता है।

सकल जैन समाज कामां के प्रवक्ता डी के जैन मित्तल ने बताया कि कामां जैन समाज वर्किंग कमेटी द्वारा कोट ऊपर जैन मंदिर पर प्रतिदिन विधान आयोजित किये जा रहे हैं और अनन्त चतुर्दशी 12 सितंबर को विशेष रूप से व्यवस्था की जायेगी।इस दिन दिगम्बर जैन अनुयायियों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उपवास रखे जाते हैं। इस विधान में कामां जैन समाज अध्यक्ष महावीर प्रसाद जैन लहसरिया, कोषाध्यक्ष काली जैन, पदम चंद जैन टाल वाले, अनिल जैन पंसारी, राजेंद्र जैन, गौरव निक्की जैन सहित समाज के लोग मौजूद थे।

— डी के जैन मित्तल


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