दिल्ली निवासी 10वर्षीय यश ने 5वीं एवं 12वर्षीय ऋषभ ने की 6वीं बार पैदल शिखर वंदना


20 जैन तीर्थकरों की निर्वाण भूमि श्री सम्मेद शिखर के बारे में ग्रंथों में कहा गया है कि “एक बार वन्दे जो कोई, ता ही नरक पशु गति नहीं होई”। इसीलिए शिखर जी भूमि का कण-कण पवित्रता से परिपूर्ण है। सिद्धक्षेत्र के बारे में मान्यता है कि अपने पूरे जीवनकाल में शिखर जी की वंदना मात्र एक बार करने से जनम-जनम के पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसी दुर्गम और कठिन चढ़ाई से पूर्ण वंदना करने में बड़ों को भी अति कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शाहदरा, दिल्ली निवासी मात्र 10 वर्षीय यश जैन एवं 12 वर्षीय ऋषभ जैन ने शिखर जी की पूरी वंदना न केवल पैदल की बल्कि यश जैन ने 5वी एवं ऋषभ जैन ने 6वी बार शिखर जी की वंदना की है। यह दोनों बच्चों की हिम्मत और आस्तिकता का स्पष्ट प्रमाण है।


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