पटना सिटी में 23 जून को आयोजित होगा भव्य वेदी व शिखर शिलान्यास समारोह, श्री भक्तामर बीजाक्षर महामंडल विधान का हो रहा आयोजन।


महामुनि सेठ सुदर्शन स्वामी की निर्वाण भूमि पुण्यधरा पटना में श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन गुरारा मंदिर का सकल पटना जैन समाज के पुण्योदय से चिर लंबित अतिप्राचीन जीर्णशीर्ण जिनालय का जीर्णोद्धार (पुननिर्माण) कार्य तेजी से प्रगति पर है।

इसी कड़ी में भगवान पार्श्वनाथ की मुलवेदी , श्री पद्मावती माता की वेदी एवं भव्य मंदिर शिखर का शिलान्यास समारोह धूमधाम के साथ 23 जून रविवार को आयोजित किया जाएगा।

मंदिर निर्माण समिति के धीरज जैन ने बताया कि मंदिर जी का निर्माण कार्य पिछले 2 वर्षों से लगातार चल रहा है भवन खण्ड बनकर तैयार हो गया है , इस क्रम में 23 जून को बा. ब्र. संजय भैया (मुरैना) के सानिध्य में वेदी व शिखर शिलान्यास समारोह का आयोजन किया जा रहा है।

शिलान्यास कार्यक्रम मंत्रोच्चारण पूर्वक विधि विधान के साथ धार्मिक अनुष्ठान की क्रिया करते हुए स्वर्ण, रजत व रत्न शिलायें स्थापित की जायेगी।

बताया गया कि निर्माणाधीन श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन गुरारा मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो इसके लिए जैन तिथियों के अनुसार समय समय पर कई धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है।

वहीं जैन श्रद्धालुओं द्वारा श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर काँग्रेस मैदान में 48 दिवसीय श्री भक्तामर स्त्रोत्र के दीप महाअर्चना के उपसंहार स्वरूप बा•ब्र• संजय भैया जी (मुरैना) के सानिध्य में 17 से 21 जून तक श्री भक्तामर जी बीजाक्षर महामंडल विधान व इसके उपरांत 22 जून को श्री पार्श्वनाथ विधान व विश्वशांति महायग (हवन) का आयोजन किया जा रहा है।

प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी के लोकोपकारी अद्भुत सुखकरण व दुःखहरण और प्राणी मात्र की दशा और दिशा को परिवर्तन करने वाला इस महामंडल विधान में शामिल होकर जैन अनुयायियों को पुण्यार्जन करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।

बा•ब्रह्मचारी संजय भैया ने कहा कि पांच दिवसीय एक वृहत 2688 बीजाक्षर मंत्रो द्वारा श्री भक्तामर जी महामंडल विधान का अनुष्ठान चल रहा है।

जानकारी देते हुए भैया जी ने बताया कि भक्त को जन्म, जरा और मरण से मुक्ति दिलाने वाला, स्वयं में सिद्ध, हर कार्य में सिद्धि दिलाने वाला लोकप्रिय, अगम्य, अद्भुत, अनुपम, अलौकिक और प्रभावशाली श्री भक्तामर स्तोत्रराज, जिसमें शब्द शक्ति व्यापक है।

मंत्र शक्ति प्रभावक है, काव्य शक्ति आत्मसाधक के लिए आकर्षक है और जिसके एक-एक अक्षर में इतनी शक्ति है कि एक लाख योजन तक अर्थात् 12 लाख किलोमीटर तक दूर बैठे व्यक्ति और वस्तु को प्रभावित करती है।

ऐसे अचिन्त्य शक्तिशाली भक्तामर जी विधान के एक-एक अक्षर की बीजाक्षरों की पूजा आराधना पूरे विश्व में सुख-शांति हेतु, बड़े-बड़े रोगों, व्याधियों को दूर करने हेतु इस पाटलिपुत्र की नगरी में जैन धर्मावलंबियों द्वारा किया जा रहा है।

इस आयोजन को लेकर पूरा वातावरण धार्मिक दिव्यता से तृप्त हो रहा है।

 

— प्रवीण जैन (पटना)


Comments

comments