जैन समाज ने भारत को आजादी दिलाने में विशेष योगदान दिया।


भारत का स्‍वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्‍त को देश भर में हर्ष उल्‍लास के साथ मनाया जाता है । यह प्रत्‍येक भारतीय को एक नई शुरूआत की याद दिलाता है। इस दिन 200 वर्ष से अधिक समय तक ब्रिटिश उपनिवेशवाद के चंगुल से छूट कर एक नए युग की शुरूआत हुई थी। 15 अगस्‍त 1947 वह भाग्‍यशाली दिन था जब भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्‍वतंत्र घोषित किया गया और नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई। भारत द्वारा आजादी पाना उसका भाग्‍य था, क्‍योंकि स्‍वतंत्रता संघर्ष काफी लम्‍बे समय चला और यह एक थका देने वाला अनुभव था, जिसमें अनेक स्‍वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन कुर्बान कर दिए।

 भारत की आजादी के संग्राम में अनेकानेक देश प्रेमियों तथा आजादी के दीवानों ने स्वतंत्रता संग्राम की इस लड़ाई में शहादत देकर तथा जेल की यातनाओं को सहकर भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सहयोग दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार जैन धर्मावलंबी अनेक जैन वीरों ने भी आजादी के इस महायज्ञ में अपना सर्वस्व समर्पण किया है। स्वतंत्रता संग्राम के जैन वीर जिन्होंने जेलों में भी जैनत्व संस्कार का पालन किया। ग्वालियर नरेश के खजांची अमर शहीद अमरचंद जी बांठिया ने खजाना खोलकर आजादी के दीवानों की सहायता की।

बहादुरशाह जफर के दोस्त लाला हुकमचंद जैन व उनके भतीजे फकीरचंद जैन को उन्हीं के मकान के आगे फाँसी पर लटका दिया । इसी तरह मोतीचंद शाह, उदयचंद जैन, साबूलाल जैन, अर्जुनलाल सेठी जैसे अनेक क्रांतिकारी सेनानियों के कारनामों से इतिहास भरा पड़ा है। लगभग ५ हजार से भी अधिक जैन धर्मावलंबी जेल गये और सैकड़ों जैनियों ने जेल से बाहर रहकर तन—मन—धन से बढ़ चढ़कर तथा हर संभव सहयोग दिया ।

हमारी सभ्यता दुनिया से निराली है। देश एक मंदिर है हम उसके पुजारी हैं। देश की रक्षा करने वाले सीमा पर तैनात सेना के जवानों की डयूटी किसी संत की तपस्या से कम नहीं है। जो हर मौसम की बाधाओं को सहते हुए 24 घंटे देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं। राष्ट्र की रक्षा, व्यक्ति, परिवार, धर्म, समाज और संस्कृति की सुरक्षा है। पहली रक्षा राष्ट्र की, बाद में परिवार की, क्योंकि राष्ट्र बड़ा होता है।

भारत को भारत ही बोलो, इंडिया नहीं का नारा देने वाले राष्ट्रहित चिंतक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की महती कृपा एवं आशीर्वाद से ७७ वें स्वतंत्रता दिवस पर जन-जन में भारतीय इतिहास एवं भारतीयता के प्रति जागरूकता लाने के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति समर्पण, सजगता एवं सदभावना बढ़ाने के उद्देश्य से अनेक कार्यक्रम करते रहते हैं।स्वतंत्रता दिवस सिर्फ नारे लगाकर नहीं मनाना है कुछ करना भी है। हम देश को इंडिया नहीं भारत लिखें।

77वे स्वतंत्रता दिवस पर हमने है ठाना
देश को फिर से है सोने की चिड़िया बनाना
गुरूदेव का है सपना इंडिया नही भारत है बनाना
हमारी शान थी खादी कृषि स्वावलंबी रहना
अशी मशी कृषि के जनक हमने पुरुदेव को है जाना
और उनके पुत्र भरत के नाम से भारत देश को है जाना हमे विद्या गुरु के सिद्धांतो को है पालना
आकाश पर भारत को है जगमगाना
सभी के दिल में है अलख जगाना
मेंरे गुरुवर का स्वप्न है साकार करना
इंडिया नहीं इसे है फिर सोने की चिड़िया भारत है बनाना
भारत है बनाना
जय हो
— नीति सौरभ जैन

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