बहादुरशाह जफर के दोस्त लाला हुकमचंद जैन व उनके भतीजे फकीरचंद जैन को उन्हीं के मकान के आगे फाँसी पर लटका दिया । इसी तरह मोतीचंद शाह, उदयचंद जैन, साबूलाल जैन, अर्जुनलाल सेठी जैसे अनेक क्रांतिकारी सेनानियों के कारनामों से इतिहास भरा पड़ा है। लगभग ५ हजार से भी अधिक जैन धर्मावलंबी जेल गये और सैकड़ों जैनियों ने जेल से बाहर रहकर तन—मन—धन से बढ़ चढ़कर तथा हर संभव सहयोग दिया ।
हमारी सभ्यता दुनिया से निराली है। देश एक मंदिर है हम उसके पुजारी हैं। देश की रक्षा करने वाले सीमा पर तैनात सेना के जवानों की डयूटी किसी संत की तपस्या से कम नहीं है। जो हर मौसम की बाधाओं को सहते हुए 24 घंटे देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं। राष्ट्र की रक्षा, व्यक्ति, परिवार, धर्म, समाज और संस्कृति की सुरक्षा है। पहली रक्षा राष्ट्र की, बाद में परिवार की, क्योंकि राष्ट्र बड़ा होता है।
भारत को भारत ही बोलो, इंडिया नहीं का नारा देने वाले राष्ट्रहित चिंतक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की महती कृपा एवं आशीर्वाद से ७७ वें स्वतंत्रता दिवस पर जन-जन में भारतीय इतिहास एवं भारतीयता के प्रति जागरूकता लाने के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति समर्पण, सजगता एवं सदभावना बढ़ाने के उद्देश्य से अनेक कार्यक्रम करते रहते हैं।स्वतंत्रता दिवस सिर्फ नारे लगाकर नहीं मनाना है कुछ करना भी है। हम देश को इंडिया नहीं भारत लिखें।
देश को फिर से है सोने की चिड़िया बनाना
गुरूदेव का है सपना इंडिया नही भारत है बनाना
हमारी शान थी खादी कृषि स्वावलंबी रहना
अशी मशी कृषि के जनक हमने पुरुदेव को है जाना
और उनके पुत्र भरत के नाम से भारत देश को है जाना हमे विद्या गुरु के सिद्धांतो को है पालना
आकाश पर भारत को है जगमगाना
सभी के दिल में है अलख जगाना
मेंरे गुरुवर का स्वप्न है साकार करना
इंडिया नहीं इसे है फिर सोने की चिड़िया भारत है बनाना
भारत है बनाना
जय हो