उत्तम क्षमा धर्म के साथ जैनियों का 10 दिवसीय महापर्व दशलक्षण आरंभ


पावापुरी (नालंदा): पर्व उल्लास का प्रतीक होते है पर्व है तो संस्कृति है और संस्कृति है तो उमंग व उत्साह है। इसी के साथ रविवार से जैन धर्म का पर्वाधिराज पर्युषण दशलक्षण त्योहार का आगमन होने से जैन धर्मावलंबियों के बीच खासा उत्साह का माहौल है। कहा जाता है दशलक्षण पर्व का आगाज़ उस समय हुआ होगा जब मानव दुःख से सुख की ओर कदम बढ़ा रहा था। उसी खुशी में दस दिनों का यह भक्ति आराधना का क्रम प्रारम्भ हुआ। इसलिए इस पर्व को अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग भी कहा जाता है।

पर्युषण पर्व के पहले दिन श्री पावापुरी जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र में उत्तम क्षमा धर्म की श्रद्धापूर्वक आराधना की गई। लॉकडाउन नियम को ध्यान में रखते हुए रविवार प्रातः मंदिर जी में जैन श्रद्धालुओं ने मंगलाचरण पाठ के साथ भगवान पार्श्वनाथ , भगवान महावीर , भगवान आदिनाथ , भगवान शांतिनाथ , भगवान बाहुबली स्वामी का जलाभिषेक , शांतिधारा मंत्रोच्चार के बीच किया। इसके पश्चात विशेष पूजन में देव शास्त्र गुरु पूजा , भगवान महावीर पूजा , दशलक्षण धर्म पूजा समेत पांच प्रकार के पूजा अर्चना विधि विधान पूर्वक किया गया। इस दौरान श्रावकों ने जिनेन्द्र प्रभु के समक्ष अष्टद्रव्य अर्घ्य समर्पित किया। वहीं संध्या बेला में महाआरती व भजन का आयोजन किया गया।

क्षमा से हर भव में सुख मिलता है –

उत्तम क्षमा धर्म के बारे में जानकारी देते हुए पावापुरी दिगम्बर जैन कोठी के प्रबंधक अरुण जैन व पवन कुमार जैन ने बताया कि क्षमा धर्म धारण करने से परिणाम और भाव विशुद्ध होते है। समस्त उपद्रव या बैर से क्षमा ही रक्षा करती है। क्षमा से व्यक्ति को इस भव के साथ अगले भव में भी सुख, शांति व समृद्धि मिलता है। जीवन के हर कार्य के साथ क्षमा का होना आवश्यक है तभी वह अपने आप को संकट से बचा सकता है। क्षमा से सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे अपने प्राणों की रक्षा , धन , यश और धर्म की भी रक्षा की जा सकती है।

 

— प्रवीण जैन (पटना)


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