आयु 18 की और अरिहंत दीक्षा ले बन गये अभिषेक मुनि महाराज


जालंधर जैन समाज के लिए रविवार का दिन विशेष तथा एसएसजैन सभा के लिए अति विशेष रहा क्योंकि सभा के लिए सौभाग्य की बात है कि जिस कार्य के लिए जैन संस्थाएं तरसती हैं, ऐसा अनुपम अवसर उसे मात्र सात माह में दूसरी बार मिला है। ऐसा ही विशेष अवसर रविवार को वेदांत भवन, बाग बाहरियां, कपूरथला रोड में प्राप्त हुआ, जिसमें वैरागी संत को जैन भगवती दीक्षा प्रदान की गई। जैन सभा के प्रधान एवं संघ गौरव राजेश जैन (लोहे वाले) की अध्यक्षता में वैरागी अरिहंत जैन (18) की संत बनने की तमाम रस्में विधि-विधान के साथ जैन संतों की उपस्थिति में पूरी की गई।

दो घंटे तक चले समारोह में वैरागी अरिहंत जैन पूजनीय अभिषेक मुनि महाराज बन गये। इससे पूर्व एसएसजैन सभा के तत्वाधान में इसी फरवरी को वैरागन श्रुति जैन को महासाध्वी श्री स्मृद्धि जी महारज बनाने की रस्में पूरी की गई थी। समारोह में पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश सहित दिल्ली से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। आपको बता दें कि अरिहंत जैन बचपन से ही गंभीर और धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा-भक्ति को पालने वाले थे।

उन्होंने मात्र 15 वर्ष की बाल्यावस्था में ही वैराग्य जीवन को अपना लिया था और तीन वर्ष की कठिन वैराग्य तपस्या के बाद उन्हें जैन मुनि की दीक्षा प्रदान की गई। दीक्षा प्रदान करने से पूर्व मंच पर जारी रस्मों के दौरान न केवल अरिहंत जैन का परिवार बल्कि पूरा समाज एक क्षण के भावुक हो गया। अरिहंत की मां संतोष रानी के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। अरिहंत की बड़ी बहन सीमा और छोटी बहन रीमा ने आखिरी बार अरिहंत को राखी बांधी।


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