10 साल के जुड़वां जैन मुनियों को है 10 भाषाओं का ज्ञान


बंगलौर, मात्र दस वर्ष के जुड़वा 2 जैन भिक्षु नमीचंद्रसागर महाराज एवं नेमिचंद्रसागर महाराज की इस अल्पावस्था में याददाश्त और गजब की प्रतिभा देख हर कोई हैरान और अचंभित है। ये जुड़वा जैन भिक्षु एक समय और एक बार में बोली गई 100 वस्तुओं या सौ वाक्यांश, नाम, नम्बर आदि कुछ भी दिए जाए तो ये भिक्षु उन्हें तुरंत अपने मन-मस्तिष्क में बिठाल लेते हैं।

इसके अलावा ये दोनों जुड़वा भिक्षु भाई एक, दो, तीन नहीं बल्कि दस भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत, मराठी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, मारवाड़ी एवं उर्दू) में प्रवचन देने के लिए पारंगत हैं। बता दें कि दस वर्षीय जुड़वा भिक्षु गुजरात के सूरत से पैदल यात्रा कर बंगलौर पहुंचे हैं। इनका कहना है कि ये दोनों भाई भिक्षु धार्मिक यात्राओं पर रहने वाले पहले सबसे छोटे भिक्षु हैं।

उक्त दोनों का जन्म गुजरात के हीरा कारोबारी पीयूष मेहता के यहां हुआ था। इनका नाम ध्रुव और र्धर्य है  और अटठारह माह पूर्व दोनों भाई सांसारिक मोह-माया को त्याग भिक्षु बन गये। दोनों भिक्षु भाई इतने पारंगत है कि कोई भी सौ वस्तुएं, चीजें, नम्बर आदि दे दिये जाएं तो उन्हें उसी क्रम में सीधा-उल्टा बोल सकते हैं। इन्हें जैन शास्त्रों, भगवत गीता, बाइबल, कुरान और गुरु ग्रंथ साहिब के लगभग 5000 श्लोक याद हैं।


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