मध्य प्रदेश के दमोह जिले के कुंडलपुर स्थित भगवान महावीर (बड़े बाबा) का एक प्राचीन ऐतिहासिक जैन मंदिर है, जो बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल के समय निर्मित हुआ था। इस मंदिर के नवनिर्माण का मामला कई दिनों से अदालत में लंबित था किंतु मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद मंदिर नवनिर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मप्र हाईकोर्ट ने नेशनल ट्रिब्यूनल की भोपाल बेंच के स आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें निर्माणाधीन मंदिर स्थल वन भूमि में होने के चलते रोक लगा दी गई थी। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता एवं जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने जयपुर की संस्था जैन संस्कृति रक्षा मंच के अध्यक्ष मिलाप चंद्र डांडिया पर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए एक लाख का जुर्माना किया है।
बता दें कि तीर्थस्थल कुंडलपुर में भगवान महावीर (बड़े बाबा) का ऐतिहासिक मंदिर है। मंदिर का गर्भगृह भूमि के नीचे था साथ ही गर्भगृह में स्थापित बड़े बाबा सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं एक पंक्ति एक पत्थर की दीवार पर थी। ये प्रतिमाएं जिस पत्थर की थी, वह क्षरणीय था। लिहाजा मंदिर के संचालक श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर ट्रस्ट ने इस मंदिर का नवनिर्माण कराने का फैसला किया और कुछ दूरी पर एक नये मंदिर का निर्माण कराने का प्रस्ताव पारित हुआ। बड़े बाबा की प्रतिमा को भी अन्य प्रतिमाओं से अलग कर नये मंदिर में स्थापित कर दिया गया। वर्ष 2004 में राज्य सरकार ने कुछ शर्तो के साथ इसकी अनुमति दी। कुछ दिनों बाद जैन संस्कृति रक्षा मंच जयपुर स्थित मुख्याल ने राज्य सरकार के इस आदेश को सीधे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
मंदिर को पुरातात्विक महत्व का बताते हुए संस्कृति रक्षा मंच ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यहां कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग ने मंदिर नवनिर्माण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें सभी बातें समाहित हैं। अत: याचिकाकर्ता को कहा कि इस मसले को कोर्ट में न घसीटे। अंत में कोर्ट में डिवीजन बेंच ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट, फिर हाईकोर्ट मंदिर निर्माण को सही ठहरा चुके हैं। इसके बावजूद एनजीटी ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर अनुचित तरीके से निर्माण पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद कोर्ट ने एनजीटी का 27 मई, 2016 का आदेश निरस्त कर दिया और तल्ख लहजे में कहा कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का मिलापचंद्र जैन ने दुरुपयोग किया है। अत: वे रुपये एक लाख कास्ट हाईकोर्ट विधिक सेवा में जमा करें।