Acharya Vidyasagar – का 46 वां पदारोहण दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया, नगर में निकाली गई शोभा यात्रा


गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता-ऋजुमति
(ललितपुर) वर्णीनगर मडा़वरा में आचार्य श्रेष्ठ 108 विद्यासागर जी महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका रत्न 105 ऋजुमति माता जी ससंघ के पावन सानिध्य में नगर की ह्रदय स्थली श्री महावीर विद्याविहार के विशाल प्रांगण में चल रहे सिद्धों की आराधना का अनुष्ठान सिद्धचक्र महामंडल विधान का समापन विश्व शांति महायज्ञ के साथ व्रह्मचारी त्रिलोक जैन जबलपुर के निर्देशन में सानंद सम्पन्न हुआ,साथ ही साथ वर्तमान युग के युग प्रर्दशक आचार्य श्रेष्ठ 108 विद्यासागर जी महाराज का 46 वां आचार्य पदारोहण दिवस हर्ष व उत्साह के साथ मनाया गया।

प्रातःकाल आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की संगीतमयी पूजन व 46 दीपमालिकाओं से अपार जनसमूह ने आचार्य श्री के चित्र के समक्ष आरती की,दोपहर में मनोहरलाल पंथ श्रमराज्य मंत्री उत्तर-प्रदेश सरकार ने संयम स्वर्ण महोत्सव शोभायात्रा के जुलूस का शुभारंभ धर्मध्वजा फहराकर नयामंदिर प्रांगण से किया,इस शोभायात्रा में अग्रिम पंक्ति में आचार्य श्री विद्यासागर संस्कार वर्णी पाठशाला के नन्हें-मुन्हें बच्चों ने अपने हाथों में संयम स्वर्ण महोत्सव की धर्मध्वजा लेकर कार्यक्रम की शोभा बढाई,जुलूस में बच्चों ने बढचढकर हिस्सा लिया।

जुलूस में जैनयुवा जागृति सेवा संघ के म्यूजिक डायरेक्टर धर्मेंद्र सराफ के म्यूजिक की धार्मिक स्वरलहरियों पर युवा,बच्चें व महिलाएं थिरकते हुए चल रहे थे,जुलूस नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए चल रहा था,प्रत्येक द्वार-द्वार पर रंगोली बनाई गई व श्री जी की अगवानी में पलक पांवडें विछाकर श्रावकों ने श्री जी की आरती की,संयम स्वर्ण महोत्सव आचार्य पदारोहण दिवस के अवसर पर निकाली गई शोभा यात्रा अपने आप में एक अद्वितीय रही ,यह शोभायात्रा नगर में भ्रमण करते हुए श्री महावीर विद्याविहार के विशाल प्रांगण में पहुंची,इस शोभायात्रा में भक्तों का उत्साह देखते नहीं बन रहा था,कार्यक्रम की शोभा बढाने में बच्चों से लेकर बुजुर्गों ने अपनी सहभागिता दी।

इस पावन अवसर पर आर्यिका रत्न 105 ऋजुमति माता जी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगों ने जो भक्ति अपने गुरू के प्रति दिखलाई है वह अविस्मरणीय है,आचार्य श्री की भक्ति इस भारत की धरा का प्रत्येक जीव कर रहा हैं उनके गुणों व उनकी चर्या का गुणगान किया जाये तो वर्षों व्यतीत हो जायेंगे, आचार्य श्रेष्ठ इस पंचमयुग के महावीर हैं,आज आचार्य श्री का 46 वां आचार्य पदारोहण दिवस भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व मना रहा है ,कहा गया है “गुरु को शिष्य”बना बैठे,आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज ने अपने शिष्य मुनि श्री विद्यासागर के लिए अपना आचार्य पद दे दिया था व स्वयं उनके शिष्य बन गये थे,ऐसे ज्ञानसागर महाराज के शिष्य वर्तमान पथ प्रर्दशक आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज ही हैं ,जिनकी चर्या का गुणगान नहीं किया जा सकता है,गुरू ने जो हमें दिया है वह हमारे संयम के पथ में सहायक है।

इस दौरान व्रह्मचारी त्रिलोक जैन जबलपुर ने कहा कि आचार्य श्री का आचार्य पदारोहण दिवस सम्पूर्ण जगत मना रहा है हमसभी का सौभाग्य है कि हमने इस युग में जन्म लिया है,आचार्य श्री की चर्या का गुणानुवाद नहीं किया जा सकता है ,गुरूदेव ने इस संसार के लिए जो दिया वह धर्म का सार ही है,हमें धर्म के मार्ग पर चलने की शिक्षा गुरु ने ही दी है। गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है।सिद्धचक्र महामंडल विधान व आचार्य पदारोहण दिवस व्रह्मचारी त्रिलोक जैन जबलपुर व संगीतकार अजीत जैन पांडया कुचामन के निर्देशन में सानंद सम्पन्न हुआ व आचार्य पदारोहण दिवस के अवसर पर अशोक संगौरिया, सुमत मोदी,राजू सोंरया,अनिल जैन,युवराज सौंरया,पारस जैन रजौला,जैन युवा जागृति सेवा संघ के म्यूजिक डायरेक्टर धर्मेंद्र सराफ,प्रदीप सिंघई,मुकेश मामा,राजेंद्र मामा का विशेष सम्मान दिगम्बर जैन समाज मडा़वरा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में नगर की स्वयंसेवी संस्थाओं श्री वर्णी व्यायाम शाला,जैन युवा जागृति सेवा संघ,आदिनाथ सेवा संघ,नेमिनाथ सेवा संघ,महावीर सेवा संघ,सर्वोदय बालिका मंडल,श्री दिगम्बर जैन स्वस्ति महिला महासमिति, जैन सोशल ग्रुप, आचार्य श्री विद्यासागर संस्कार वर्णी पाठशाला,दिगम्बर जैन महासभा,दिगम्बर जैन महिला मंडल आदि स्वयंसेवी संस्थाओं का सराहनीय सहयोग रहा व स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों को कार्यक्रम के तहत विशेष सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन व्रह्मचारी त्रिलोक जैन व डां० राकेश जैन सिंघई ने संयुक्त रूप से किया।इस दौरान सकल दिगम्बर जैन समाज मडा़वरा के श्रद्धालुगण,क्षेत्रीय जैन समाज सौंरई,बम्हौरी, साढूमल,सैदपुर, महरौनी,गौना,कुसमाड, कारीटोरन, के अलावा विभिन्न स्थानों के जैन धर्मानुलम्बी मौजूद रहे ।

 

  • डॉ. सुनील जैन ‘संचय’

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