संकल्प श्री महिला मंडल ने मनाया श्रुत पंचमी महापर्व


24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी निर्वाण के बाद लगभग 2000 वर्ष पूर्व आचार्य धरसेन ने अपने शिष्य पुष्पदन्त और भूतबलि को आदेश दिया कि महावीर स्वामी की दिव्य वाणी को लेखन के माध्यम से संरक्षित किया जाए। जैन धर्म के प्रथम ग्रंथ’ षट्खण्डागम की रचना प्राकृत भाषा में जेष्ठ शुक्ल पंचमी को शुरू की गई थी। तब से जैन धर्मावलंबी इस दिन को श्रुत पंचमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन जैन धर्मावलम्बी जिनवाणी का विधिवत पूजन और वाचन करते हैं।

इसी क्रम में छोटा बाजार स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में श्रुत पंचमी के पावन अवसर पर संकल्प श्री महिला मण्डल के तत्वाधान में प्रात: मूलनायक श्रीजी का अभिषेक, विधान-पूजन तत्पश्चात श्री जिनवाणी माता जी को शीश पर धारण कर मंदिर की तीन परिक्रमा लगाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके बाद श्री शांति विधान का संगीतमय आयोजन ब्रह्मचारी श्री करुणा सागर जी के सान्निध्य में किया गया। भगवान का विधान और श्रुत पंचमी के इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे और कार्यक्रम में पूरी भक्ति-भावना के साथ सम्मिलित हुए।


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