जिसकी कोख से जन्मे उन्ही को दीक्षा देंगें आचार्य श्री विमर्श सागर जी


छत्तीसगढ़ के भिलाई उद्योग नगर में जैन समाज के लिए अतिगौरवशाली बेला है और हो भी क्यूं न। एक 71 वर्षीय मां अपने बेटे (जो अब आचार्य हैं) के हाथों दीक्षा ग्रहण करेंगी। इस अद्धितीय क्षणों के गवाह दूर-दूर से आये दीक्षा समारोह में सम्मिलित होने वाले श्रद्धालुगण बनेंगे। बता दें कि दुर्ग में विराजमान भावलिंगी संत श्रमणाचार्य विमर्श सागर जी महाराज अपनी सांसारिक मां 71वर्षीय भगवती देवी, पहाड़ी गांव, जिला टीकमगढ़ को भगवती दीक्षा प्रदान करेंगे।

ऐसी घटना देश में दूसरी बार होने जा रही है, जब एक मां अपने ही आचार्य बेटे से दीक्षा ग्रहण कर सांसारिक जीवन का त्याग करेंगी। इससे पूर्व मुनि विमर्श सागर जी के गुरु विराग सागर जी महाराज के हाथों आज से 10 वर्ष पूर्व उनकी मां ने दीक्षा ग्रहण की थी। भगवती देवी के अनुसार उनके पुत्र का मुनि जीवन में प्रवेश के साथ ही उनके मन में भी वैराग्य की भावना जाग गयी थी।

उन्होंने शुरु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया और उसके बाद लगभग 25 वर्षो तक जिनागम पंथ के कई नियम धारण करती गयी। वर्तमान में वे 7 प्रतिमाओं का व्रत धारण कर चुकी हैं। समारोह से पूर्व उनकी बिनौली यात्रा निकली और केश लुंचन की क्रिया भी की हुई।  दीक्षार्थी समारोह में ब्रह्मचारी अंकित, ब्रह्मचारिणी भगवती एवं सुमन दीदी ने मंडल पर अर्घ चढ़ाकर संयम पथ पर चलने का संकल्प लिया। दीक्षा लेने वालों में भगवती सहित मध्य प्रदेश के अशोक नगर 25 वर्षीय अंकित जैन, उत्तर प्रदेश एटा की 50वर्षीय सुमन जैन दीक्षा ग्रहण करेंगे।


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