एक रविवार सामयिक के नाम: पुच्छिस्सु णं साधिका डॉ.साध्वी श्री सौरभसुधाजी म सा की सामायिक वाणी


सामयिक यह जैन दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण शब्द है। सामयिक सिर्फ जैन ही करते हैं ,अन्य दर्शन में कहीं सामायिक का विधान नहीं मिलता है, इसलिए हमें गर्व होना चाहिए कि भगवान महावीर ने सावद्य योग से हमें बचाकर रखने के लिए 48 मिनट की सामयिक बताइए। धर्म के मार्ग पर लाने के लिए कम से कम 48 मिनट की सामायिक हमारे पास होनी ही चाहिए।

24 घंटे में से हम सिर्फ दो – दो मिनिट निकालेंगे तो आराम से हम एक सामायिक 24 घंटे के अंदर कर सकते हैं। सामयिक हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है, क्योंकि यह सिर्फ और सिर्फ तीर्थंकर ही देते हैं और तीर्थंकर की सर्वप्रथम देशना और सामायिक आधार शीला होती है। हमें सामायिक की आराधना प्रतिदिन करनी चाहिए एक सामायिक हमारे नरक के दरवाजे को बंद करने में समर्थ है और स्वर्ग के दरवाजे खोल देती है, इसलिए आप सभी सामायिक करें और आज आप लोगों ने सामायिक करके सामायिक दिवस मनाया आप सबका तहे दिल से आभार व्यक्त करते हैं भविष्य में इसी तरह आप जुड़े रहें यही मंगल भावना है।

— नितेश हीरालालजी नावेडिया


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