मोह-माया छोड़ जैन दीक्षा लेंगी 28वर्षीय चार्मी और 23वर्षीय हीरल


जब मन में धर्म के प्रति आस्था प्रगाढ़ हो उठती है तो उसके सामने सांसारिक और चकाचौंध से भरी जिंदगी तुच्छ लगने लग जाती है। ऐसी ही भौतिकतावादी चकाचौंध भरी जिंदगी को त्याग झरिया की 28वर्षीय चार्मी बेन और कोलकाता की 23वर्षीय हीरल ने एक भव्य दीक्षा समारोह में सब कुछ छोड़ दीक्षा ग्रहण कर ली।

दीक्षा ग्रहण करने से पहले झरिया में ढ़ोल-लगाड़े की धुन पर नाचते-गाते श्रद्धालु और लाल रंग की कार में सवार दोनों युवा दीक्षार्थी चार्मी (28) एवं हीरल (23) हाथ जोड़े जय-जयकार के साथ धन, आभूषण, अनाज लुटाकर आध्यात्म की पहली सीढ़ी की तरफ अग्रसर होने चल दी। दोनों नव दीक्षाथर्िीयों ने जैन धर्म के प्रख्यात संत नम्र मुनि जी से दीक्षा ग्रहण कर भौतिकवादी दुनिया से नाता तोड़ अध्यात्म की राह पर प्राणी जगत के कल्याण हेतु निकल पड़ी।

बतादें कि झरिया की चार्मी देवेंद्र भाई संघवी एवं श्रीमती शीला बेन संघवी की बेटी हैं। श्रीेताम्बर स्थानकवासी जैन संघ की ओर से दीक्षार्थी चार्मी और हीरल की शोभायात्रा फतेहपुर जैन उपाश्रय से धूमधाम के साथ गाजे-बाजे के साथ निकाली गयी। शोभायात्रा शहर का भ्रमण कर अग्रसेन भवन पहुंची। चार्मी के पिता ने कहा कि बेटी जैन धर्म की राह प्रशस्त करने चल पड्री है। हम लोग काफी खुश हैं कि वह सांसारिक मोह-माया को त्याग सभी के कल्याण के बारे में सोचेगी। चार्मी की नानी 88वर्षीय नर्मदा बेन तो नाचते-नाचते रो पड़ी। अग्रसेन भवन में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में विभिन्न प्रस्तुतियों के साथ दोनों दीक्षाथियों को विदाई दी गयी।


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