ललितपुर। जिस घड़ी का इंतजार ललितपुर वासियों को तीन दशक से था वह इंतजार 21 नवम्बर को पूरा हो गया जब साधना के सुमेरु भारतीय संस्कृति के संवाहक संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज अपने विशाल संघ के साथ ललितपुर नगर में प्रवेश किया।
आचार्यश्री का पदविहार वांसी से ललितपुर की ओर प्रातःकाल 6 बजे शुरू हुआ।जैसे ही लोंगो ने आचार्य श्रेष्ठ के नगर आगमन की सुनी तो खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।कोई पैदल तो कोई गाडी से पदविहार में सम्मिलित होने के लिए पहुंचा। इतनी सुबह सुबह भारी जनसैलाव उमड़ा देख रास्ते में पड़ने वाले गांवों के लोग भी उमड़ पड़े और आचार्यश्री की एक झलक पाने को लालायित देखे गए। जन सैलाव इतना था कि पुलिस प्रशासन लोगों से दूर से ही दर्शन करने की अपील कर रहे थे। बांसी से ही हजारों की संख्या में बिना जूते-चप्पल के श्रद्धालु चल रहे थे। जैसे-जैसे आचार्यश्री के पग आगे बढ़ रहे थे श्रद्धालुओं का जन सैलाव बढ़ता ही जा रहा था।
हाइवे पर दूर-दूर तक अपार भीड़ ही भीड़ दिख रही थी। आलम यह था कि रोड की दूसरी ओर चलने वाले वाहनों को भी रुक-रुक चलना पड़ रहा था। इस दौरान आगे-पीछे और बीच में बड़ी संख्या में पुलिस प्रशासन व्यवस्था को सुचारू करने में लगे थे। आचार्यश्री के आगे आगे बैंड बाजे चल रहे थे इसके बाद पचरंगा झंडे लेकर कार्यकर्ता चल रहे थे इसके बाद पुलिस के पदाधिकारी चल रहे थे जो आचार्यश्री के दर्शन लोगों से दूर से करने की अपील कर रहे थे ताकि पद विहार में बाधा उत्पन्न न हो। इसके बाद आचार्यश्री संघ सहित चल रहे थे पश्चात उनसे कुछ दूरी पर जन सैलाब चल रहा था।
नदनवारा पहुँचने पर नगर में पूर्व से विराजमान मुनि श्री अविचल सागर जी ने पहुँचकर आचार्यश्री के चरणों में नमोस्तु पूर्वक नमन किया। रास्ते में रंग-बिरंगे गुब्बारे आकाश में छोड़े जा रहे थे। आचार्यश्री पदविहार करते हुए आदिनाथ कालेज प्रांगण में पहुंचे जहाँ पर मुख्य द्वार पर कालेज प्रबन्धन ने आचार्यश्री का वंदन किया। इसके पूर्व जैन पंचायत समिति और पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के पदाधिकारियों ने आचार्यश्री के चरणों में श्रीफ़ल समर्पित कर आरती की।
आदिनाथ कॉलेज में सबसे पहले आचार्यश्री की पूजन भक्ति भाव से की गई।
इस अवसर पर उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी एक चीज गुम गयी है। मैं आ रहा था, आप लोग भी आ रहे थे। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वह चीज आप लोगों को मिल गयी? इस पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने कहा ‘हव’। इस पर चुटकी लेते हुए आचार्यश्री ने कहा कि ललितपुर में भी ‘हव’ चलता कि नहीं। इस पर जन समुदाय ने कहा ‘हव’।
उन्होंने आगे कहा कि मैं सोच रहा था कि भूल गए हैं आप लोग। उन्होंने कहा कि अब पगडण्डी जीवित है कि नहीं। अब शायद पगडण्डी जीवित नहीं रह पाएगी क्योंकि पगडंडियों पर चलाना तो चाहते हैं लेकिन चलना नहीं चाहते। अंत में उन्होंने कहा कि ट्रकों पर लिखा रहता है ‘फिरमिलेंगे’। संचालन संघस्थ ब्र. सुनील भैया जी ने किया। एसडीएम सदर घनश्याम वर्मा ने महर्रा पहुँचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अधिकारियों को समुचित दिशा निर्देश दिए।
आचार्यश्री की आहारचर्या महर्रा स्थित आदिनाथ कॉलेज परिसर में हुई। सामायिक के बाद महर्रा से ललितपुर नगर की ओर विहार हुआ जिसमें पूरा नगर उमड़ पड़ा। आज ललितपुर के इतिहास में एक नया इतिहास जुड़ गया। लोग कह रहे थे उन्होंने आज तक किसी संत के नगर आगमन इतना जनसैलाव उमड़ते नहीं देखा है। प्रवेश के दौरान पूरे रास्ते में पड़ने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों के मालिकों द्वारा अपने द्वार पर स्वयं सजावट और स्वागत की की गई थी। आचार्यश्री के नगर में प्रवेश करते ही ऐसा लग रहा था जैसे पूरा शहर थम गया हो, एकमात्र आचार्यश्री के दर्शनों को हजारों आँखे निहार रही थी। सभी समुदाय के लोग आचार्यश्री को नमन कर रहे थे और स्वागत वंदन के लिए खड़े हुए थे। नगर प्रवेश का दृश्य अपने आप में देखने योग्य था।
सुरक्षा व्यवस्था में लगे हुए पुलिस अधिकारी और सिपाही बड़े ही आनंद के साथ आचार्यश्री के आगे और पीछे दौड़ते भागते चल रहे हैं। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए थे। पंचायत समिति ने नगर की सीमा चंदेरा पर भव्य अगुवानी की। इसके बाद विशाल जनसैलाब मंडी, इलाइट चौराहा, जेल चौराहा, तुवन होते हुए विशाल शोभायात्रा स्टेशन रोड स्थित क्षेत्रपाल मंदिर पहुँचा। रास्ते में लोगों ने श्रद्धालुओं को जल, मीठा, फल देकर उनका स्वागत किया।
रास्ते में जहॉ नवयुवक करतब दिखाते हुए चल रहे थे वहीं अनेक बग्गियां, घोड़े पर ध्वज लेकर चल रहे थे। विभिन्न स्वयंसेवी संगठन अपनी सेवाएं दे रहे थे। जिसने भी आज का यह नजारा देखा कह उठा अद्भुत, अकल्पनीय, ऐतिहासिक, भूतो न भविष्यति। क्षेत्रपाल मंदिर में आचार्यश्री की भव्य अगवानी की गई । नगर में उत्सव जैसा माहौल था। पाठशाला के बच्चे आचार्यश्री के अभियान हथकरघा, इंडिया नहीं भारत बोलो आदि की तख्तियां लेकर चल रहे थे।
आचार्यश्री के नगर आगमन पर स्वागत के लिये पूरा शहर सजाया गया था। सड़क के ऊपर किनारों में झिलमिल चमकनी तो नीचे रंगोली बनाई गई थी। अनेक स्वागत द्वार बनाये गए थे। शहर के लोग धरती के देवता को अपने बीच पाकर धन्य हो रहे थे। जयकारों से आकाश गुंजायमान हो रहा था। विभिन्न परिधानों में महिलाएं स्वागत के लिए खड़ी थी।उल्लेखनीय है कि जहां बतौर राज्य अतिथि उनका प्रथम नगर प्रवेश था वहीं वह 31 वर्ष बाद नगर में आ रहे थे। उधर जैन शिक्षक सामाजिक समूह के सदस्यों ने आचार्यश्री के नगर आगमन की ख़ुशी में जिला अस्पताल में फल वितरण किया। नगर सजाने में वीर क्लब का योगदान रहा।
इस अवसर पर राज्यसभा सासंद चंद्रपाल यादव, विधायक रामरतन कुशवाहा, सपा जिलाध्यक्ष ज्योति कल्पनीत, नगर पालिका अध्यक्षा रजनी साहू आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। नगर पालिका के पार्षदगण उपस्थित रहे।
गोलाकोट, खनियाधाना से बड़ी संख्या में लोग बसों से आये हुए थे साथ ही में गुरुकुल के बच्चे गुरुवर गोलाकोट चलो की तख्तियां लेकर चल रहे थे।
इस दौरान ललितपुर के साथ ही बार, बांसी, लड़वारी, कैलगुवा, गदयाना, महरौनी, मड़ावरा, पाली, तालबेहट, बबीना,जखौरा, बिरधा, टीकमगढ़, सागर, शिवपुरी, झाँसी, ग्वालियर,बीना, खिमलासा, दिल्ली, दमोह, ग्वालियर, छतरपुर, बरुआसागर आदि स्थानों के बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे। नगर के सभी पत्रकार बंधु भी उपस्थित रहे।
जैन पंचायत समिति , पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव समिति, नगर की सभी स्वयंसेवी संस्थाओं, उप समितियों का योगदान उल्लेखनीय रहा। संचालन अनिल जैन अंचल ने किया। स्वागत अध्यक्ष नरेन्द्र कड़ंकी ने सभी का स्वागत किया।
आचार्यश्री के देश-विदेश में लाखों की संख्या में भक्तों को देखते हुए इस भव्य मंगल प्रवेश का जिनवाणी चैनल पर लाइव प्रसारण भी किया गया, जिसे देश -विदेश में देखा देखा गया। चेनल पर प्रसारण के पुण्यार्जक विद्यासागर रोडवेज , अनिल जैन, अरुण जैन, अजय साइकिल आनन्द साइकिल परिवार है।
उल्लेखनीय है कि आचार्यश्री के सान्निध्य में मसौरा स्थित दयोदय गौशाला परिसर में श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव 24 नवम्बर से 30 नवंबर तक बड़े ही उत्साह से होने जा रहा है।
अनियत विहारी का विहार :
आचार्य विद्यासागर जी महाराज कभी किसी को बता के विहार नहीं करते इसलिए उनके आगे अनियत विहारी संत लिखा जाता है। ललितपुर नगर प्रवेश को लेकर यह देखने भी मिला है। नगरवासी 22 नवम्बर को उनके नगर प्रवेश की पूर्ण संभावना मानकर चल रहे थे। 22 नवम्बर के हिसाब से ही लोग तैयारी में जुटे थे। बाहर से आने वाले इष्ट मित्र, रिश्तेदारों को भी यही सूचना दी गयी थी। लेकिन अचानक ही 21 तारीख को आचार्यश्री का मङ्गल पदार्पण नगर में हो गया। आज जब इतना जनसैलाव उमड़ पड़ा था यदि निर्धारित तिथि 22 नबम्बर को प्रवेश होता तो न जाने कितना जनसैलाव उमड़ता।
-डॉ. सुनील संचय, मीडिया प्रभारी